
हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अफसर वाई पूरन कुमार आत्महत्या मामले में सियासी हलचल तेज हो गई है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के आज चंडीगढ़ में पीड़ित परिवार से मुलाकात करने से ठीक पहले हरियाणा सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया गया है, जबकि रोहतक के एसपी का तबादला पहले ही हो चुका है।
राहुल गांधी आज करेंगे पूरन कुमार के परिजनों से मुलाकात
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज मंगलवार (14 अक्टूबर) को चंडीगढ़ पहुंचेंगे। वे शाम 5.30 बजे आईपीएस वाई पूरन कुमार के सेक्टर 24 स्थित आवास पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। राहुल गांधी, पूरन कुमार की पत्नी आईएएस पी अमनीत कुमार से मिलकर उन्हें सांत्वना व्यक्त करेंगे।
इस दौरान उनके साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह समेत अन्य कांग्रेस नेता भी मौजूद रहेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी ने भी पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए पत्र लिखा था और न्याय की लड़ाई में साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया था।
डीजीपी शत्रुजीत कपूर गए लंबी छुट्टी पर
हरियाणा सरकार ने आईपीएस वाई पूरन कुमार आत्महत्या प्रकरण में सात दिन बाद पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत कपूर को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है। यह कार्रवाई राहुल गांधी और चिराग पासवान के परिजनों से मिलने आने से ठीक पहले हुई है। इसके साथ ही रोहतक के पूर्व एसपी नरेंद्र बिजरानिया का तबादला भी सरकार पहले ही कर चुकी है।
पूरन कुमार की पत्नी आईएएस पी अमनीत कुमार और उनके साले विधायक अमित रतन कोटफत्ता समेत कई दलित संगठन लगातार डीजीपी व एसपी को पद से हटाने, गिरफ्तार और निलंबित करने की मांग कर रहे थे। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 17 अक्टूबर को सोनीपत के राई में होने वाली जन विश्वास-जन विकास रैली भी स्थगित हो गई है।
15 अधिकारियों पर FIR दर्ज
वाई पूरन कुमार के सुसाइड नोट के आधार पर चंडीगढ़ पुलिस ने DGP कपूर समेत कुल 15 अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की है। इन अधिकारियों में मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, पूर्व मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद, पूर्व ACS राजीव अरोड़ा, DGP शत्रुजीत कपूर और रोहतक के पूर्व SP नरेंद्र बिजारनिया जैसे कई वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारी शामिल हैं।
इन सभी के विरुद्ध चंडीगढ़ के सेक्टर 11 थाने में उत्पीड़न, प्रताड़ित करने व गालीगलौच के साथ एससी-एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज की गई है। पूरन कुमार ने सुसाइड नोट में इन अधिकारियों पर उत्पीड़न, भ्रष्टाचार और मानसिक दबाव डालने का आरोप लगाया था। उन्होंने आईपीएस कुलविंदर सिंह पर धमकी देने और माटा रवि किरण पर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर अपमानित करने का भी आरोप लगाया था।
8 दिन बाद भी नहीं हुआ अंतिम संस्कार, 48 घंटे का अल्टीमेटम खत्म
परिवार और समाज की ओर से गठित 31 सदस्यीय कमेटी (महापंचायत) का 48 घंटे का अल्टीमेटम भी आज खत्म हो रहा है। अमनीत पी कुमार आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ी हैं और उन्होंने 8 दिन बाद भी अपने पति का पोस्टमार्टम नहीं करवाया है। नतीजतन, पूरन कुमार का पार्थिव शरीर चंडीगढ़ के सेक्टर-16 अस्पताल की मोर्चरी में रखा हुआ है।
परिवार की मुख्य मांग है कि एफआईआर में आरोपियों को नामजद किया जाए, आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) को जोड़ा जाए और सभी आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी हो। इन मांगों के पूरा होने तक परिवार ने पोस्टमार्टम कराने और अंतिम संस्कार करने से साफ इनकार कर दिया है, जिससे यह मामला और भी संवेदनशील हो गया है।
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी करेंगे मुलाकात
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण एवं उद्योग मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान भी आज मंगलवार को ही दोपहर करीब डेढ़ बजे वाई पूरन कुमार के परिजनों से मुलाकात करने आ रहे हैं। इस मामले में कई विपक्षी नेता पहले भी पीड़ित परिवार से मिलकर सांत्वना दे चुके हैं।
दलित समाज से जुड़े आईपीएस अधिकारी की आत्महत्या के इस मामले ने हरियाणा की राजनीति में भूचाल ला दिया है। विपक्षी दल और विभिन्न दलित संगठन इसे एक बड़े उत्पीड़न और सामाजिक न्याय के मुद्दे के रूप में उठा रहे हैं। मामले में उच्चाधिकारियों का नाम आने के बाद यह घटनाक्रम सरकार पर लगातार दबाव बना रहा है।
क्या है पूरा मामला
2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार रोहतक पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में इंस्पेक्टर जनरल (IG) के पद पर तैनात थे। उन्होंने 7 अक्टूबर 2025 को चंडीगढ़ स्थित अपने सरकारी आवास के साउंडप्रूफ बेसमेंट में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।
उस समय उनकी पत्नी आईएएस पी अमनीत कुमार, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ जापान दौरे पर थीं। पूरन कुमार ने आत्महत्या से पहले 8 पेज का सुसाइड नोट और एक वीडियो छोड़ा था, जिसमें उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों पर उत्पीड़न और मानसिक दबाव डालने के गंभीर आरोप लगाए थे। यह पूरा मामला अब राजनीतिक और सामाजिक न्याय की बड़ी बहस का केंद्र बन गया है।

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