
उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के दायरे को व्यापक बनाने के लिए कई बड़े और महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी में है। जनसंख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य होने के कारण, मौजूदा सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं अक्सर नाकाफी साबित होती हैं। इस चुनौती से निपटने और सभी नागरिकों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए, सरकार निजी क्षेत्र को स्वास्थ्य सेवा के विस्तार में शामिल करने की रणनीति पर काम कर रही है। इसके तहत, ग्रामीण क्षेत्रों में निजी अस्पतालों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कई सहूलियतें देने की योजना है, जिसमें सस्ती भूमि और स्टांप ड्यूटी में छूट जैसे आकर्षक प्रस्ताव शामिल हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष फोकस
सरकार का मुख्य ध्यान प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को दूर करने पर है। निजी क्षेत्र के ऐसे निवेशक जो ग्रामीण इलाकों में अस्पताल खोलना चाहते हैं, उन्हें सरकार की ओर से कई प्रकार की सहूलियतें मिलेंगी। इनमें सबसे प्रमुख है सस्ती दरों पर भूमि का प्रावधान और स्टांप ड्यूटी में छूट। इसके अलावा, अस्पताल स्थापित करने के लिए आवश्यक सभी सरकारी अनुमतियां (लाइसेंस, एनओसी आदि) दिलाने में भी सरकार मदद करेगी।
हालांकि, इन सुविधाओं के बदले निजी क्षेत्र को कम से कम 100 बिस्तरों वाला अस्पताल खोलना होगा और वहां सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएं भी उपलब्ध करानी होंगी। यह सुनिश्चित करेगा कि ग्रामीण आबादी को न केवल बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं मिलें, बल्कि जटिल बीमारियों के इलाज के लिए भी उच्चस्तरीय सुविधाएं उनके करीब ही उपलब्ध हों। यह कदम ग्रामीण-शहरी स्वास्थ्य सेवा के अंतर को कम करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

PPP मॉडल और निजी क्षेत्र की भागीदारी
यह पहल सरकार की रणनीति का हिस्सा है जिसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मजबूत किया जा रहा है। हाल ही में, योगी कैबिनेट ने लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर सहित विभिन्न जिलों के 15 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) को पीपीपी मोड पर आधुनिक अस्पतालों में बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह दर्शाता है कि सरकार निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और निवेश का उपयोग करके स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। अगला बड़ा कदम निजी क्षेत्र को प्रदेश में नए अस्पताल खोलने के लिए व्यापक सुविधाएं मुहैया कराने से जुड़ा है, जो निश्चित रूप से इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देगा।

स्वास्थ्य सुविधाओं के आधार पर प्रदेश का वर्गीकरण
प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता और आवश्यकता के आधार पर पूरे राज्य को तीन श्रेणियों – ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ में विभाजित किया है:
‘ए’ श्रेणी: इस श्रेणी में नोएडा सहित सभी नगर निगम वाले शहर शामिल किए गए हैं। इन क्षेत्रों में पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतर उपलब्धता है, लेकिन फिर भी उन्नयन और विशेषज्ञ सेवाओं की आवश्यकता बनी रहती है। हालांकि, झांसी को इस श्रेणी से अलग रखा गया है, जो शायद उसकी विशेष भौगोलिक या विकासात्मक आवश्यकताओं के कारण हो सकता है।
‘बी’ श्रेणी: इस श्रेणी में प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय शामिल हैं। इन क्षेत्रों में कुछ हद तक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों और आधुनिक उपकरणों की कमी अक्सर महसूस की जाती है।
‘सी’ श्रेणी: यह श्रेणी जिला मुख्यालयों को छोड़कर जनपद के अन्य सभी ग्रामीण इलाकों को कवर करती है। यहीं पर स्वास्थ्य सुविधाओं की सबसे अधिक कमी है और यहीं पर सरकार निजी क्षेत्र को अस्पताल खोलने के लिए सबसे अधिक प्रोत्साहन दे रही है। यह वर्गीकरण सरकार को लक्षित तरीके से नीतियों को लागू करने में मदद करेगा ताकि संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग हो सके।
यह पहल न केवल उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी और ग्रामीण आबादी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाएगी। सरकार का यह कदम प्रदेश को ‘स्वस्थ उत्तर प्रदेश’ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।

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