
xमहाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना नाम और उसके पारंपरिक चिन्ह ‘धनुष-बाण’ को लेकर एक बार फिर बड़ा मोड़ आने वाला है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। इस सुनवाई को लेकर पूरे महाराष्ट्र की नजरें कोर्ट पर टिकी हैं, क्योंकि फैसला स्थानीय निकाय चुनावों की दिशा तय कर सकता है।
उद्धव की मांग: शिवसेना की असली पहचान वापस मिले
उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उन्हें पार्टी का मूल नाम ‘शिवसेना’, धनुष-बाण निशान और बाघ वाला भगवा झंडा इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए। उद्धव गुट का तर्क है कि ये प्रतीक चिह्न शिवसेना की आत्मा हैं, जिन्हें मतदाता बालासाहेब ठाकरे की विरासत के रूप में देखते हैं। उनके वकील देवदत्त कामत ने 2 जुलाई को कोर्ट में जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा था कि ये चिन्ह 1985 से शिवसेना की पहचान हैं और जनता से इनका भावनात्मक जुड़ाव है।
शिंदे गुट को रोकने की अपील
उद्धव गुट ने कोर्ट से गुजारिश की है कि एकनाथ शिंदे गुट को इन चिन्हों के इस्तेमाल से रोका जाए। गौरतलब है कि जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर कई विधायकों के साथ नया गुट बनाया था। इसके बाद फरवरी 2023 में चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ‘शिवसेना’ नाम और धनुष-बाण चिन्ह आवंटित कर दिया था। उद्धव ठाकरे ने तब से इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है, लेकिन मामला अभी तक लंबित है।
एनसीपी उदाहरण देकर दी दलील
उद्धव गुट ने अपनी याचिका में एनसीपी के मामले का उदाहरण दिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह अजित पवार गुट को चिन्ह आवंटित कर चुनाव में हिस्सा लेने दिया गया, उसी तरह उन्हें भी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अस्थायी राहत दी जाए। उद्धव गुट का कहना है कि अगर चिन्ह का इस्तेमाल नहीं करने दिया गया तो पार्टी को चुनाव में भारी नुकसान होगा।
शिंदे गुट ने ठुकराया उद्धव का तर्क
उधर, शिंदे गुट ने इस मांग का कड़ा विरोध किया है। शिंदे गुट के वकील ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव पहले ही इसी नाम और चिन्ह से लड़े जा चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने कोर्ट को यह भी याद दिलाया कि 7 मई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे की ऐसी ही अंतरिम मांग को खारिज कर दिया था। शिंदे गुट के अनुसार अब इस पर कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जाना चाहिए।
सत्ता हथियाने के आरोप और कानूनी लड़ाई
उद्धव ठाकरे गुट का आरोप है कि शिंदे ने असंवैधानिक तरीके से सत्ता हथियाई थी। 10 जनवरी 2024 को विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना मान लिया था। इसके खिलाफ कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर 22 जनवरी को शिंदे गुट और उनके विधायकों को नोटिस जारी किया गया था।
स्थानीय चुनावों पर होगा असर
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों की तस्वीर साफ कर देगा। शिवसेना के नाम और चिन्ह को लेकर चल रही खींचतान ने न सिर्फ कार्यकर्ताओं बल्कि मतदाताओं में भी असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। ऐसे में कोर्ट के फैसले पर सबकी नजरें टिकी हैं कि क्या उद्धव ठाकरे को अपनी पार्टी की पारंपरिक पहचान वापस मिलेगी या शिंदे गुट को ही कानूनी वैधता मिलती रहेगी।

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