
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को देश की सुरक्षा और जनसांख्यिकीय संतुलन (डेमोग्राफी) के मुद्दे पर बेहद कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने अवैध घुसपैठ को देश के लिए एक गंभीर खतरा बताते हुए स्पष्ट किया कि “भारत कोई धर्मशाला नहीं है”। इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है, क्योंकि सरकार ने अवैध प्रवासन के व्यापक प्रभावों का अध्ययन करने के लिए एक हाई-पावर्ड मिशन के गठन की घोषणा की है।
गृह मंत्री ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किए गए बयान में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त 2025 को लाल किले से की गई घोषणा का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि एक हाई-पावर्ड डेमोग्राफिक मिशन का गठन किया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य अवैध प्रवासन, धार्मिक और सामाजिक जीवन पर उसके प्रभाव, असामान्य बसावट पैटर्न और सीमा प्रबंधन पर इसके असर का गहन अध्ययन करना होगा।
विवाद से ऊपर, देश को बचाने की प्राथमिकता
शाह ने स्वीकार किया कि इस तरह के मिशन और कठोर नीतियों से राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट कर दी। उन्होंने कहा, “विवाद से बचने और देश, लोकतंत्र, संस्कृति को बचाने के बीच यदि चुनना पड़े, तो भाजपा हमेशा देश को चुनेगी।” यह बयान दर्शाता है कि अवैध प्रवासन को रोकने के लिए सरकार किसी भी राजनीतिक विरोध का सामना करने के लिए तैयार है।
भाजपा की तीन-सूत्रीय नीति: डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट
गृह मंत्री ने अवैध घुसपैठियों से निपटने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सख्त तीन-सूत्रीय नीति को रेखांकित किया: ‘डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट’।
डिटेक्ट (पहचान): “हम घुसपैठियों को डिटेक्ट करेंगे।”
डिलीट (हटाना): “मतदाता सूची से डिलीट करेंगे।”
डिपोर्ट (निर्वासन): “और देश से डिपोर्ट करेंगे।”
यह नीति घुसपैठियों को केवल कानूनी रूप से हटाने तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उन्हें देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया से भी बाहर करने पर जोर देती है।

जनसांख्यिकीय बदलाव पर चिंता
अमित शाह ने डेमोग्राफी में आ रहे बदलावों को घुसपैठ का स्पष्ट प्रमाण बताया। उन्होंने कहा कि गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों की सीमाएँ होते हुए भी वहाँ घुसपैठ नहीं होती, क्योंकि उन सीमाओं पर सख्ती बरती जाती है।
उन्होंने जनसांख्यिकीय बदलाव को दर्शाने के लिए आँकड़ों का हवाला दिया:
असम: उन्होंने असम का उदाहरण दिया, जहाँ 2011 की जनगणना में मुस्लिम आबादी की दशकीय वृद्धि दर 29.6 प्रतिशत थी। शाह ने कहा कि यह वृद्धि दर बिना घुसपैठ के संभव नहीं है।
पश्चिम बंगाल: उन्होंने पश्चिम बंगाल के कई सीमावर्ती जिलों में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर 40 प्रतिशत और कुछ क्षेत्रों में 70 प्रतिशत तक पहुँचने की बात कही, जिसे उन्होंने घुसपैठ का ‘स्पष्ट प्रमाण’ माना।
उन्होंने ऐतिहासिक जनसांख्यिकीय डेटा भी प्रस्तुत किया: 1951 में हिंदू 84% और मुस्लिम 9.8% थे। वहीं, 2011 में हिंदू 79% और मुस्लिम 14.2% हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि अब मुस्लिम आबादी 24.6 प्रतिशत हो गई है, जिसका मुख्य कारण अवैध घुसपैठ है।
धार्मिक प्रताड़ना बनाम आर्थिक घुसपैठ
गृह मंत्री ने पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले हिंदुओं के प्रति भारत के नैतिक दायित्व को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “जितना मेरा अधिकार इस देश की मिट्टी पर है, उतना ही उनका।” यह नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराता है।
हालांकि, उन्होंने तुरंत भेद किया कि “जो धार्मिक प्रताड़ना के बिना आर्थिक या अन्य कारणों से आते हैं, वे घुसपैठिए हैं।” शाह ने चेतावनी दी कि यदि बिना किसी जांच के किसी को भी आने दिया जाता है, तो देश सचमुच “धर्मशाला बन जाएगा”। यह बयान अवैध आर्थिक प्रवासियों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के बीच स्पष्ट अंतर स्थापित करता है।
अमित शाह का यह सख्त बयान और हाई-पावर्ड डेमोग्राफिक मिशन का गठन भारत की आंतरिक सुरक्षा और जनसांख्यिकीय स्थिरता को प्राथमिकता देने के सरकार के इरादे को मजबूती से स्थापित करता है।

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