
गाजा पट्टी में दो साल से अधिक समय बाद खूनी संघर्ष पर विराम लगने की उम्मीद जगी है। भयानक खूनखराबे का सिलसिला टूटता देख पूरी दुनिया ने राहत की साँस ली है। इस युद्धविराम के लागू होने के पीछे सबसे बड़ा श्रेय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दिया जा रहा है, जिन्होंने इजरायल और हमास दोनों को शांति समझौते के पहले चरण पर सहमत करने के लिए चेतावनी से लेकर धमकी तक का रास्ता अपनाया।
हालांकि, यह केवल पहला चरण है और संघर्ष में स्थायी विराम के लिए अभी भी कई “किंतु-परंतु” बाकी हैं। पश्चिम एशिया में अमन-चैन को बढ़ावा देने के लिए यह ज़रूरी है कि अमेरिका अपनी नीति को स्थिर और दृढ़ रखे। अमेरिका ही एकमात्र ऐसा देश है जो इजरायल को नियंत्रित करने की स्थिति में है, लेकिन अब समय आ गया है कि अन्य पश्चिमी देश भी एक निश्चित नीति के तहत इज़रायल के साथ व्यवहार करें।
इजरायल इस समझौते को लेकर फूंक-फूंककर कदम उठा रहा है। इजरायली सरकार ने साफ कर दिया है कि यह समझौता तभी प्रभावी होगा जब उसकी कैबिनेट इसे अंतिम मंजूरी देगी। हालांकि, व्यापक रूप से उम्मीद है कि यह मंजूरी आसानी से मिल जाएगी, क्योंकि इजरायल को अपने बंधकों के लौटने का बेसब्री से इंतजार है।

हमास का दाँव जो गाजा पर पड़ा भारी
गाजा के लोगों ने पिछले दो वर्षों में जो “खून के आंसू” बहाए हैं, उसके लिए सिर्फ इजरायल ही नहीं, बल्कि हमास भी पूरी तरह से दोषी है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर किया गया क्रूर हमला, जिसे आतंकवाद के सिवा और कुछ नहीं कहा जा सकता, इस संघर्ष की जड़ में है।
चंद घंटों के भीतर, हमास के लड़ाकों ने 1,200 इजरायली नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया था और लगभग 250 लोगों को बंधक बनाकर गाजा ले गए थे। हमास ने संभवतः यह सोचा होगा कि इन बंधकों के कारण इजरायल हमला करने से बचेगा और वह अपनी मांगों के लिए भयादोहन (ब्लैकमेल) कर पाएगा।
मगर, हमास का यह दांव उल्टा पड़ गया। इजरायल की जवाबी कार्रवाई अत्यंत विनाशकारी थी। अब तक गाजा में 67,000 से अधिक लोग मारे गए हैं और करीब 1,70,000 लोग घायल हुए हैं। गाजा में हर दस में से एक व्यक्ति या तो मारा गया है या घायल हुआ है।
ऐसे में, हमास और उसके सहयोगी आतंकी संगठनों को गंभीरता से यह सोचना चाहिए कि 7 अक्टूबर का उनका हमला गाजा के आम नागरिकों पर कितना भारी पड़ा। यह एक बड़ा सवाल है: क्या इतनी बड़ी संख्या में निरपराध लोग मारे जाते, यदि हमास ने शुरू में ही बंधकों को रिहा कर दिया होता? तमाम अंतरराष्ट्रीय गुहार के बावजूद, हमास ने बंधकों को रिहा नहीं किया और बंधकों की जो अमानवीय हालत बनाई है, उसकी केवल कड़ी निंदा की जा सकती है।

नरसंहार का दोषी कौन और आगे का रास्ता
यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि गाजा में हुए नरसंहार के लिए वास्तव में कौन दोषी है? जब तक संघर्ष में शामिल सभी पक्ष—इजरायल और हमास—ईमानदारी से और तार्किक ढंग से इस भयावहता की समीक्षा नहीं करेंगे, तब तक किसी भी पुख्ता और स्थायी समाधान की संभावना नहीं बनेगी।
संघर्ष विराम लागू होने के बाद अब सबसे ज़रूरी है कि हिंसा में शामिल दोनों पक्ष एक-दूसरे को दोषी ठहराने के बजाय तार्किक ढंग से विचार करें। आज गाजा को मानवीय बनाने की सबसे बड़ी आवश्यकता है। केवल इसी से नफरत का मुकम्मल इलाज संभव होगा और बदला लेने का दुष्चक्र टूट पाएगा।
शांति और इंसानियत की दिशा में तुरंत दो कदम उठाए जाने ज़रूरी हैं:
हमास बिना समय गंवाए सभी शेष बंधकों को रिहा करे।
इजरायल गाजा से अपनी सेना हटाने की प्रक्रिया फौरन शुरू करे।

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस शांति समझौते के पहले चरण को उचित ही एक कूटनीतिक सफलता और इजरायल के लिए राष्ट्रीय व नैतिक जीत बता रहे हैं। इजरायल को बंधकों का इंतजार है, और बंधक जिस स्थिति में रिहा होंगे, वह भी गाजा के भविष्य की दिशा तय करेगा।
स्थायी शांति के लिए इस पूरे संघर्ष की संतुलित समीक्षा ज़रूरी है, ताकि कटुता और बर्बरता को भूलकर आगे बढ़ने के सुधार के तौर-तरीके हासिल किए जा सकें। इंसानियत की उम्मीद कभी एकतरफा पूरी नहीं होती; अमन की राह पर चलने की ज़िम्मेदारी सभी पक्षों की होती है, तभी किसी समाज या क्षेत्र में स्थायी शांति बहाल हो पाती है। क्या गाजा में शामिल पक्ष इस बार इंसानियत की राह पर चलने को तैयार होंगे?

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