
देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अगर ईश्वर की कृपा रही तो वह अपने कार्यकाल के निर्धारित समय पर, अगस्त 2027 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उन्होंने यह बात हल्के-फुल्के अंदाज में कही लेकिन इस पर उपस्थित छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ईश्वर की कृपा रही तो मैं सही समय पर अगस्त 2027 में सेवानिवृत्त हो जाऊंगा।’’ धनखड़ का पांच वर्ष का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 को पूरा होगा। पेशे से वकील जगदीप धनखड़ ने जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रत्याशी के रूप में उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन किया था, तब वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे।
कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने भारत के भविष्य और इसकी वैश्विक स्थिति को लेकर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारत को सिर्फ आर्थिक या राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि बौद्धिक और सांस्कृतिक गरिमा के मामले में भी मजबूत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र की असली शक्ति उसके विचारों की मौलिकता और मूल्यों की शाश्वतता में होती है।
धनखड़ ने अफसोस जताया कि स्वदेशी दृष्टिकोण को आजादी के बाद भी उपेक्षित किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘स्वदेशी दृष्टिकोण को आदिम अतीत का अवशेष मानकर दरकिनार कर दिया गया और स्वतंत्रता के बाद भी केवल चुनिंदा स्मृतियां ही जीवित रखी गईं।’’ उपराष्ट्रपति ने पाश्चात्य विचारधाराओं को लेकर कहा कि इन्हें सार्वभौमिक सत्य के रूप में प्रचारित किया गया जो देश की मूल चेतना को कमजोर करने का काम था।
धनखड़ ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत अपनी बौद्धिक और सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करते हुए वैश्विक मंच पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाए। उन्होंने छात्रों से भी अपील की कि वे देश की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को समझें और उन पर गर्व करें।
इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्र समुदाय ने उपराष्ट्रपति के विचारों का स्वागत किया और उनसे कई विषयों पर संवाद भी किया। कार्यक्रम का माहौल सौहार्दपूर्ण और प्रेरणादायक रहा।

Team that uploads the news for you