
नीति आयोग के सदस्य और जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ. अरविंद विरमानी ने गुरुवार को कहा कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और चुनौतियों के बावजूद, भारत इस वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर हासिल करने की राह पर है। उन्होंने कहा कि हाल ही में लागू किए गए जीएसटी 2.0 जैसे सुधारों का दीर्घकालिक विकास दर पर निश्चित रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। डॉ. विरमानी ने जोर देकर कहा कि पिछले पांच वर्षों ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक झटकों को झेलने में अत्यधिक सक्षम और मजबूत है।
जीएसटी सुधार और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’
मीडिया से बातचीत में डॉ. विरमानी ने बताया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लंबे समय तक जीएसटी सुधारों पर काम किया है। उन्होंने इस बात पर भरोसा जताया कि ये सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत फायदेमंद साबित होंगे। उन्होंने कहा, “केंद्रीय बजट में कई सकारात्मक उपायों की घोषणा की गई थी और आयकर सुधार एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे, जिसे संसद ने पारित कर दिया है।”
डॉ. विरमानी ने जीएसटी सुधारों को ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की एक बड़ी योजना का हिस्सा बताया, जिसका उद्देश्य अनुपालन को सरल बनाना है। उन्होंने स्वीकार किया कि सरलीकरण का वास्तविक प्रभाव दिखने में समय लगता है। उन्होंने कहा, “सरलीकरण की दक्षता और सकारात्मक कर प्रभाव व अनुपालन प्रभाव सामने आने में समय लगता है, लेकिन मुझे यकीन है कि ये परिणाम जरूर आएंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि बाजार हमेशा भविष्य की प्रत्याशा में काम करता है और इन सुधारों का असर दिखना शुरू हो गया है।
वैश्विक अनिश्चितता और भारत की लचीलापन
डॉ. विरमानी ने जीडीपी के पूर्वानुमान पर बात करते हुए कहा कि कई विशेषज्ञ पहले से ही इस वर्ष जीडीपी लगभग 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगा रहे थे। हालांकि, उन्होंने माना कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता का बड़ा दायरा है। उन्होंने 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ को एक अप्रत्याशित झटके के रूप में बताया, लेकिन कहा कि जीएसटी जैसे प्रभावशाली सुधार नीतिगत और संस्थागत, दोनों मोर्चों पर महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे कई सुधार हुए हैं और अन्य प्रक्रिया में हैं।”
डॉ. विरमानी ने आईएएनएस को बताया, “कुल मिलाकर, मुझे लगता है कि हम इस वर्ष भी 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि अनिश्चितता के चलते यह आंकड़ा 0.5 प्रतिशत ऊपर या नीचे भी हो सकता है। यह दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है, लेकिन वैश्विक परिस्थितियों के कारण कुछ जोखिम भी मौजूद हैं।

अप्रत्याशित जीडीपी वृद्धि दर
डॉ. विरमानी की टिप्पणियाँ ऐसे समय में आई हैं जब हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही) में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने की जानकारी दी है। यह वृद्धि दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और अन्य संस्थानों द्वारा लगाए गए 6.5 से 6.7 प्रतिशत के अनुमान से कहीं अधिक है।
यह अप्रत्याशित वृद्धि भारत की आर्थिक मजबूती और सुधारों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाती है। अर्थशास्त्री इस वृद्धि दर की सराहना कर रहे हैं, जो यह साबित करती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अपनी गति बनाए रखी है।
डॉ. अरविंद विरमानी के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था अपनी मजबूत आंतरिक नीतियों और सुधारों के कारण वैश्विक झटकों का सामना करने में सक्षम है। जीएसटी 2.0 जैसे सुधार न केवल अनुपालन को आसान बनाएंगे बल्कि लंबी अवधि में विकास दर को भी बढ़ावा देंगे। 7.8 प्रतिशत की अप्रत्याशित जीडीपी वृद्धि दर ने इन दावों को और भी मजबूत कर दिया है, जिससे यह उम्मीद बढ़ गई है कि भारत इस वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को आसानी से हासिल कर लेगा।

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