
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मीटिंग, रांची में जुटे चार राज्यों के प्रतिनिधि, कोयला बकाया, सरना संहिता और जल बंटवारे जैसे अहम मुद्दों पर होगी चर्चा
झारखंड की राजधानी रांची में गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक का आयोजन हुआ। इस महत्वपूर्ण बैठक में झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लगभग 70 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। अधिकारियों के अनुसार इस बैठक में झारखंड को विशेष सहायता और नई योजनाओं की मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
बैठक के मद्देनजर रांची शहर में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई थी। पुलिस प्रशासन ने चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी और हर आने-जाने वालों की कड़ी जांच की गई। एक अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी को देखते हुए सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं ताकि बैठक निर्विघ्न संपन्न हो सके।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर लिखा, “धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पावन धरती झारखंड के रांची में आयोजित 27वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता हेतु माननीय केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह जी का स्वागत करता हूं।” इस बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी विशेष रूप से शामिल हुए।
बैठक में झारखंड सरकार कई महत्वपूर्ण मुद्दों को केंद्र के समक्ष रखने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) पर बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये की कोयला राशि का मामला उठाएगी। इसके अलावा, झारखंड आदिवासियों के लिए अलग ‘सरना धार्मिक संहिता’ की भी मांग करेगा। गौरतलब है कि इस संबंध में झारखंड विधानसभा पहले ही प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेज चुकी है।
झारखंड सरकार कोयला धारक क्षेत्र (अर्जन और विकास) अधिनियम में संशोधन की भी मांग कर सकती है ताकि खनन कार्य पूरा होने के बाद कंपनियों द्वारा अधिग्रहीत जमीन राज्य सरकार को वापस की जा सके। इन मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर, मंत्री दीपक बिरुआ, मुख्य सचिव अलका तिवारी, प्रमुख सचिव (गृह) वंदना दादेल और पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता भी बैठक में मौजूद रहे।
उधर बिहार ने भी इस बैठक में अपनी पुरानी समस्याएं फिर से उठाने की तैयारी की है। बिहार सीमावर्ती राज्यों के साथ जल बंटवारे, संपत्ति विभाजन जैसे मुद्दे उठा सकता है। कई मामलों में झारखंड के गठन (15 नवंबर 2000) के बाद से अब तक समाधान नहीं हो पाया है। बिहार का प्रतिनिधित्व मंत्री विजय चौधरी और सम्राट चौधरी कर रहे हैं, जो बुधवार को ही रांची पहुंच गए थे।

ओडिशा की ओर से मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के साथ उपमुख्यमंत्री प्रवती परिदा ने भाग लिया। पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व राज्य की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने किया।
बताया जा रहा है कि यह बैठक पहले 10 मई को होने वाली थी, लेकिन उस समय भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। अब जबकि चार राज्यों के प्रतिनिधि एक साथ बैठे हैं, उम्मीद जताई जा रही है कि कई जटिल मुद्दों पर सहमति बनेगी और झारखंड समेत पूरे पूर्वी भारत के विकास को नई दिशा मिलेगी।

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