
तेलंगाना भाजपा के कद्दावर नेता और गोशामहल से तीन बार विधायक रह चुके टी राजा सिंह का इस्तीफा आखिरकार पार्टी ने औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है। शुक्रवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनके त्यागपत्र को तत्काल प्रभाव से मंजूरी दे दी। इस फैसले के साथ ही तेलंगाना भाजपा में अंदरूनी कलह और असंतोष एक बार फिर से खुलकर सामने आ गया है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की ओर से शुक्रवार को टी राजा सिंह को भेजे गए आधिकारिक पत्र में यह जानकारी दी गई। पत्र में कहा गया है, “आपका त्यागपत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के संज्ञान में लाया गया। आपने जो बातें अपने पत्र में कही हैं, वे पार्टी की कार्यप्रणाली, विचारधारा और सिद्धांतों से मेल नहीं खातीं। अतः राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशानुसार, आपका इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार किया जाता है।”
गौरतलब है कि टी राजा सिंह अक्सर अपने विवादित बयानों और कट्टर हिंदुत्व समर्थक छवि के कारण सुर्खियों में रहते हैं। उन्होंने 30 जून को प्रदेश नेतृत्व को पत्र भेजकर इस्तीफे की पेशकश की थी। इसके पीछे मुख्य कारण प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर रामचंदर राव की नियुक्ति को बताया जा रहा है, जिसे लेकर पार्टी में अंदरखाने लंबे समय से चर्चा चल रही थी।
अपने इस्तीफे में राजा सिंह ने लिखा था कि रामचंदर राव को तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने की खबर से न सिर्फ वह खुद, बल्कि हजारों कार्यकर्ता और पार्टी के समर्पित समर्थक भी स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा, “जब भाजपा राज्य में पहली बार सरकार बनाने की दहलीज पर खड़ी है, ऐसे में यह फैसला पार्टी की दिशा और नेतृत्व क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।”
राजा सिंह ने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग पर्दे के पीछे से फैसले करवा रहे हैं और व्यक्तिगत हितों को प्राथमिकता देते हुए केंद्रीय नेतृत्व को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने साफ लिखा कि यह इस्तीफा किसी निजी महत्वाकांक्षा से प्रेरित नहीं है, बल्कि यह लाखों समर्पित कार्यकर्ताओं की निराशा और असंतोष की आवाज है।
राजा सिंह ने पार्टी के लिए अपनी निष्ठा और तीन बार विधायक रहने का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा पार्टी के हित में काम किया है, लेकिन अब ऐसे फैसलों पर चुप नहीं रह सकते।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह घटनाक्रम राज्य में भाजपा की अंदरूनी खींचतान को उजागर करता है। आगामी चुनावों से पहले यह प्रकरण भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है, खासकर तब जब पार्टी राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी में जुटी है।

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