
भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य को जोड़ने वाली एक प्रेरणादायक घटना हाल ही में सामने आई, जब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुजरात का दौरा किया। उनका यह दौरा न केवल एक पर्यटक के रूप में अनुभव प्राप्त करने का प्रयास था, बल्कि जम्मू-कश्मीर की बदली हुई और सकारात्मक छवि को प्रस्तुत करने की भी एक पहल थी।
उमर अब्दुल्ला ने अपनी यात्रा के दौरान साबरमती रिवरफ्रंट और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जैसे राष्ट्रीय गौरव स्थलों का दौरा किया। उन्होंने इन स्थलों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि “यात्रा मन और क्षितिज को व्यापक बनाती है।” इस टिप्पणी को देश भर में काफी सराहा गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उमर अब्दुल्ला की इस पहल पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,
“कश्मीर से केवड़िया, उमर अब्दुल्ला को साबरमती रिवरफ्रंट पर दौड़ते और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने जाते देखकर बहुत अच्छा लगा। उनकी यह यात्रा एकता का एक महत्वपूर्ण संदेश देती है और हमारे साथी भारतीयों को भारत के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करने के लिए प्रेरित करेगी।”
प्रधानमंत्री के इस पोस्ट के जवाब में उमर अब्दुल्ला ने भी आभार व्यक्त किया और लिखा कि
“पर्यटन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है और लाखों लोगों को रोजगार देने की क्षमता रखता है। हमारी कोशिश है कि देश के कोने-कोने से लोग जम्मू-कश्मीर आएं और इसकी सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता को अनुभव करें।”
पर्यटन को बढ़ावा देने की रणनीति
उमर अब्दुल्ला की यह यात्रा 30 और 31 जुलाई को हुई थी, और इसका उद्देश्य खासतौर पर गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से आने वाले पर्यटकों को आमंत्रित करना था। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में पहलगाम में हुई दुखद घटना के बाद पर्यटन को पुनर्जीवित करना एक प्राथमिकता बन गया है।
उन्होंने गुजरात के लोगों से अपील की कि वे जम्मू-कश्मीर को केवल एक गंतव्य नहीं, बल्कि एक आत्मिक अनुभव की तरह देखें और वहां आकर न केवल इसकी वादियों का आनंद लें, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन से जुड़ें।
राष्ट्रीय संवाद और सकारात्मक राजनीति की मिसाल
उमर अब्दुल्ला और प्रधानमंत्री मोदी के बीच यह संवाद दर्शाता है कि जब बात देशहित और जनसरोकार की हो, तो विचारधाराएं द्वितीय हो जाती हैं। ‘कश्मीर टू केवड़िया’ यात्रा इस बात की मिसाल बन गई है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद राष्ट्रीय एकता और विकास के लिए साझेदारी की जा सकती है।
उमर अब्दुल्ला की गुजरात यात्रा ने यह साबित कर दिया कि भारत की विविधता में एकता केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक सजीव वास्तविकता है। इस पहल से जम्मू-कश्मीर के पर्यटन को नई ऊर्जा मिलेगी, और अन्य राज्यों के लोग भी वहां की संस्कृति, शांति और सुंदरता से जुड़ सकेंगे। यह यात्रा एक ऐसे भारत की तस्वीर पेश करती है जो संवाद, सहयोग और सांस्कृतिक एकता से आगे बढ़ रहा है — और यही किसी भी लोकतंत्र की असली शक्ति होती है।

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