
उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने आजम खान का जिक्र करते हुए सीधे-सीधे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि अखिलेश के राज में सत्ता की असली लगाम आजम खान के चाबुक से चलती थी।
सोशल मीडिया पर किया तीखा हमला
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘बात ज्यादा पुरानी नहीं है जब सपा बहादुर अखिलेश यादव के शासन में सत्ता की असली ताक़त आजम खान के चाबुक से चलती थी। यह पूरा प्रदेश जानता था। सपा के वही भाईजान अब अपनी पार्टी के लिए ना तो घर के हैं और ना घाट के।’’
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आज सपा के गलियारों में चर्चा है कि अपने ही ‘बहादुर’ नेता का नाम सुनकर कई नेताओं को ‘मितली’ आने लगती है।
मदरसावादी पार्टी कहकर घेरा
उपमुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी पर धार्मिक ध्रुवीकरण का भी आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, ‘‘हिंदुओं की आस्था को व्यापार बताने का दुस्साहस करने वाले सपा बहादुर अखिलेश यादव ने सही मायने में मुस्लिम, मस्जिद और मदरसों को अपने वोट का बाज़ार बना रखा है। सपाईयों को अपने बहादुर से समाजवादी पार्टी का नाम बदलकर ‘मदरसावादी पार्टी’ रखने की मांग करनी चाहिए।’’
केशव मौर्या के इस बयान ने साफ कर दिया कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा सपा पर मुस्लिम तुष्टीकरण के पुराने आरोपों को एक बार फिर हवा देने में जुट गई है।
जेल में हैं आजम खान, परिवार ने जताई नाराजगी
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान कई मामलों में जेल में बंद हैं। बीते दिनों उनकी पत्नी तंजीन फातिमा ने जेल में पति से मुलाकात के बाद खुलकर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि अब उन्हें सपा से कोई उम्मीद नहीं रह गई है और सिर्फ अल्लाह पर भरोसा है।
आजम खान के मामले में अखिलेश यादव ने अपनी सफाई देते हुए कहा था, ‘‘हमने आजम खान की हर संभव मदद करने की कोशिश की। अब उनकी मदद अल्लाह, ईश्वर और अदालत ही कर सकते हैं। यही सच है।’’
एसटी हसन भी जता चुके हैं अलग राय
मुरादाबाद से सपा सांसद एसटी हसन पहले ही आजम खान के मसले पर अपनी राय जता चुके हैं। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा था कि आजम खान जैसे नेता को पार्टी के भीतर उचित सम्मान मिलना चाहिए था। लेकिन आज पार्टी खामोश नजर आ रही है।
सियासत में फिर तेज हुआ ‘आजम फैक्टर’
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आजम खान की नाराजगी और उनका जेल में होना सपा के लिए बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। कभी पार्टी की मुस्लिम राजनीति की धुरी रहे आजम खान के बिना सपा का परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक भी बंट सकता है। वहीं भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बनाकर सपा पर सीधा हमला कर रही है।
क्या सुलझेगा यह ‘आंतरिक विवाद’?
सवाल उठ रहा है कि क्या अखिलेश यादव अपनी पार्टी के इस पुराने स्तंभ को फिर से साध पाएंगे या आजम खान के परिवार की यह नाराजगी और भाजपा के हमले आगामी चुनाव में सपा के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे। फिलहाल सपा इस मसले पर खामोशी साधे हुए है।

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