
जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और राज्य के पुनर्गठन को लेकर राजनीतिक बयानबाजी के बीच कांग्रेस ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संयुक्त पत्र लिखकर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है।
मानसून सत्र में विधेयक लाने की मांग
अपने पत्र में दोनों वरिष्ठ नेताओं ने आग्रह किया है कि आगामी संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए विधेयक लाए। इसके साथ ही लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की भी मांग की गई है ताकि लद्दाख के लोगों की सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान सुरक्षित रह सके और उनकी विकासात्मक आकांक्षाओं को बल मिल सके।
पांच वर्षों से उठ रही है बहाली की मांग
कांग्रेस नेताओं ने पत्र में लिखा है कि पिछले पांच वर्षों से जम्मू-कश्मीर के लोग लगातार पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह मांग केवल राजनीतिक नहीं बल्कि संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों पर भी आधारित है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि स्वतंत्र भारत में यह पहली बार हुआ कि किसी राज्य को विभाजित कर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया हो।
प्रधानमंत्री के पुराने वादों का दिलाया याद
खड़गे और राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के उन पूर्व बयानों का भी हवाला दिया जिनमें उन्होंने राज्य का दर्जा लौटाने का भरोसा दिलाया था। पत्र में कहा गया, “19 मई 2024 को भुवनेश्वर में दिए अपने इंटरव्यू में आपने कहा था कि राज्य का दर्जा बहाल करने के वादे पर सरकार पूरी तरह गंभीर है। 19 सितंबर 2024 को श्रीनगर में एक रैली में भी आपने यही बात दोहराई थी कि संसद में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा।”
इसके अलावा, कांग्रेस नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के रुख का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान भी केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय में जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दिया था।
लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की जरूरत
पत्र में यह भी कहा गया कि लद्दाख के लोगों की वर्षों पुरानी मांग है कि उन्हें संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। इससे उनकी भूमि, संस्कृति, परंपरा और आजीविका को सुरक्षित किया जा सकेगा। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, यह कदम क्षेत्र के जनजातीय समुदायों की पहचान को संरक्षित करने में मददगार होगा।
राजनीति में फिर गरमाएगा राज्य का दर्जा मुद्दा
विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी संसद सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर को लेकर एक बार फिर सियासी बयानबाजी तेज हो सकती है। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच भी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं देखना होगा कि केंद्र सरकार अपने पुराने वादों पर कितना अमल करती है।
जम्मू-कश्मीर के लोगों को है इंतजार
कांग्रेस नेताओं के इस पत्र के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को एक बार फिर उम्मीद जगी है कि शायद अब उनके संवैधानिक अधिकारों और लंबे समय से लंबित मांगों पर केंद्र कोई ठोस कदम उठाएगा।

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