
महाराष्ट्र में ऐतिहासिक स्थलों के नाम बदलने की बहस एक बार फिर तेज हो गई है। भाजपा के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) संजय केनेकर ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर छत्रपति संभाजीनगर जिले के ऐतिहासिक कस्बे खुलदाबाद का नाम बदलकर ‘रत्नपुर’ करने की मांग की है। उन्होंने दावा किया कि खुलदाबाद का प्राचीन नाम रत्नपुर था, जिसे मुगल शासक औरंगजेब के काल में बदल दिया गया था।
औरंगजेब की कब्र को लेकर लंबे समय से विवाद
खुलदाबाद को लेकर यह विवाद कोई नया नहीं है। यहां मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र स्थित है, जिसे लेकर कई हिंदुत्ववादी संगठन और स्थानीय लोग लंबे समय से इसका नाम बदलने और क्षेत्र में छत्रपति संभाजी महाराज के सम्मान में स्मारक बनाने की मांग करते आ रहे हैं। संजय केनेकर ने पत्र में लिखा है कि औरंगजेब जैसे ‘आक्रमणकारी’ की कब्र के कारण इस ऐतिहासिक स्थल की असली पहचान दब गई है।
खुलदाबाद नाम देखकर खौल उठता है खून
पत्र में भाजपा नेता संजय केनेकर ने भावुक शब्दों में लिखा, “जब हम खुलदाबाद जाते हैं और वहां औरंगजेब का नाम देखते हैं तो हमारा खून खौल उठता है। यह स्थान छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान से जुड़ा हुआ है। इसलिए इसे रत्नपुर नाम से पुकारा जाना चाहिए।”
छत्रपति संभाजी महाराज के सम्मान में भव्य स्मारक की मांग
संजय केनेकर ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि खुलदाबाद का नाम बदलने के साथ-साथ छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान को अमर करने के लिए यहां एक भव्य स्मारक भी बनाया जाए। उन्होंने कहा कि यह स्मारक युवाओं को अपने गौरवशाली इतिहास से जोड़ने का काम करेगा।
‘कांग्रेस ने वीरों का इतिहास दबाया’
भाजपा नेता ने इस मौके पर कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने आक्रमणकारियों के इतिहास को बढ़ावा देकर छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज, शाहजी राजे भोसले, संताजी घोरपड़े और ताराबाई रानी जैसे वीरों के संघर्ष की कहानियों को दबाने का प्रयास किया। केनेकर ने कहा कि भाजपा अब इस छिपाए गए इतिहास को उजागर करने और औरंगजेब की सोच को दफन करने के लिए प्रतिबद्ध है।

शिवसेना नेता भी कर चुके हैं यही मांग
गौरतलब है कि यह मांग पहली बार नहीं उठी है। कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री और शिवसेना नेता संजय शिरसाठ ने भी खुलदाबाद का नाम बदलकर रत्नपुर करने का प्रस्ताव रखा था। शिरसाठ ने कहा था कि ऐतिहासिक दस्तावेजों में भी इस स्थान का नाम रत्नपुर मिलता है, जो बाद में औरंगजेब के शासन में बदला गया।
स्थानीय लोगों में भी बंटी राय
खुलदाबाद का नाम बदलने की इस मांग पर स्थानीय लोगों के बीच मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इस कदम को ऐतिहासिक विरासत को सही पहचान दिलाने वाला बता रहे हैं, तो कुछ लोगों का मानना है कि इससे धार्मिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है। हालांकि भाजपा और शिवसेना के कुछ नेताओं का कहना है कि यह बदलाव छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान को उचित सम्मान देगा।
क्या कहती है सरकार
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस संबंध में अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर जल्द ही सरकार स्तर पर विचार-विमर्श हो सकता है। गौरतलब है कि इससे पहले भी महाराष्ट्र में औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर किया जा चुका है।
नया नामकरण बन सकता है बड़ा चुनावी मुद्दा
विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आएंगे, वैसे-वैसे यह मुद्दा और गरमाएगा। अब देखना यह होगा कि क्या खुलदाबाद का नाम भी रत्नपुर होगा या यह केवल राजनीतिक बयानबाजी बनकर रह जाएगा।

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