
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की मुश्किलें सोमवार को उस समय और बढ़ गईं, जब दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बहुचर्चित लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में उन पर आरोप तय कर दिए। सुबह करीब साढ़े दस बजे लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में पेश हुए।
कोर्ट में माहौल तनावपूर्ण था। जज के पूछने पर लालू प्रसाद यादव ने हल्के, लेकिन दृढ़ स्वर में कहा, “आरोप स्वीकार नहीं करते हैं और मुकदमे का सामना करेंगे।” इस बयान से स्पष्ट है कि लालू परिवार कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।
कोर्ट रूम में छा गया था सन्नाटा
सुबह साढ़े दस बजे के बाद विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने फाइलें देखने के बाद आरोप पढ़ना शुरू किया। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने सबूतों की श्रृंखला पेश की है, जिसके आधार पर कोर्ट आरोप तय करने जा रहा है। न्यायाधीश ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि घोटाले की साजिश लालू प्रसाद की जानकारी में रची गई और उन्होंने रेल मंत्री के पद का दुरुपयोग किया।
आरोपों की सूची पढ़ने के बाद न्यायाधीश ने लालू यादव की ओर देखा और सवाल किए, जिससे कुछ पल के लिए कोर्टरूम में सन्नाटा छा गया। करीब 11 बजे कार्यवाही पूरी हुई और लालू परिवार अदालत से बाहर निकलकर चला गया।
राबड़ी और तेजस्वी ने भी आरोपों को किया खारिज
न्यायाधीश ने राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव से भी आरोपों के बारे में पूछा। राबड़ी देवी पर कम दाम में जमीन हासिल करने का आरोप है, और यही आरोप तेजस्वी पर भी है।
लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव तीनों ने मिलकर साफ किया कि उन पर लगाए गए सभी आरोप गलत और निराधार हैं। परिवार का साफ रुख है कि वे इन “झूठे तरीके से दर्ज” मुकदमों का सामना करेंगे और निर्दोष साबित होंगे।

क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम का पूरा मामला?
यह पूरा मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव यूपीए 1 सरकार में रेल मंत्री थे। उन पर आरोप है कि इस दौरान रेलवे में ग्रुप डी की भर्ती में भारी धांधली की गई। यह घोटाला तब खुला जब यह आरोप लगा कि लालू ने लोगों को नौकरी देने के बदले रिश्वत के रूप में उनकी जमीनें ले लीं।
सीबीआई का कहना है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए बिना किसी विज्ञापन को जारी किए ही रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी के लिए कई लोगों की भर्ती की थी। रिश्वत में ली गई ये जमीनें लालू के परिवार के सदस्यों के नाम पर दर्ज की गईं।
राष्ट्रपति ने दी मुकदमा चलाने की मंजूरी
इस मामले में कानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लालू प्रसाद के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। यह मंजूरी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197(1) और बीएनएसएस, 2023 की धारा 218 के तहत अनिवार्य है, क्योंकि यह मामला लालू के केंद्रीय मंत्री रहने के दौरान किए गए आपराधिक षड्यंत्र से संबंधित है।
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद, अब इस मनी लॉन्ड्रिंग केस में कानूनी कार्रवाई निर्णायक रूप से आगे बढ़ेगी। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों ही मामले की गहन जांच कर रहे हैं।
ईडी चार्जशीट में 600 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट में लालू परिवार पर 600 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग करने का गंभीर आरोप लगाया गया है। ईडी के अनुसार, लालू परिवार को इस घोटाले के माध्यम से कुल 7 जगहों पर जमीन मिली है।
सीबीआई का आरोप है कि लालू ने नौकरी देने के बदले 12 लोगों से कुल 7 प्लॉट हासिल कर लिए। आरोप है कि लालू यादव ने लगभग 4 करोड़ रुपये की जमीन को सिर्फ 26 लाख रुपये में अपने नाम पर करवा लिया। सीबीआई का यह भी आरोप है कि इस पूरे घोटाले में सिर्फ बिहार के लोगों को ही रेलवे में नौकरी दी गई थी।

लालू परिवार के 5 सदस्य आरोपी
इस लैंड फॉर जॉब मामले में लालू यादव के परिवार के कुल पांच सदस्यों को आरोपी बनाया गया है। इन आरोपियों में लालू यादव के साथ उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटा तेजस्वी यादव, और बेटियां मीसा भारती तथा हेमा यादव शामिल हैं।
कोर्ट में आरोप तय होने के बाद, लालू परिवार का आगे का प्लान स्पष्ट है: वे न्यायिक प्रक्रिया का सामना करेंगे और आरोपों को चुनौती देंगे। यह मामला अब ट्रायल फेज में प्रवेश कर गया है, जिससे बिहार की राजनीति पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ना तय है।

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