
बिहार विधानसभा चुनावों की आहट के बीच राज्य की राजनीति में फिर से हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव एक बार फिर मैदान में सक्रिय होते नजर आ रहे हैं। अपने बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनते देखने की मंशा से लालू यादव ने चुनावी अभियान की जमीन तैयार करनी शुरू कर दी है। शनिवार को उन्होंने आरा से इस रणनीति की शुरुआत की।
लालू प्रसाद यादव पटना से वैनिटी वैन द्वारा आरा पहुंचे। यहां उन्होंने पूर्व विधायक अरुण यादव के पिता की दूसरी पुण्यतिथि में शामिल होकर कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन किया। अरुण यादव इस इलाके में पार्टी का अहम चेहरा माने जाते हैं। यही वजह है कि लालू की यह यात्रा केवल पारिवारिक कार्यक्रम तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसे आने वाले चुनाव की चुनावी रणनीति का आगाज माना जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, लालू यादव ने आरा में राजद कार्यकर्ताओं से भी मुलाकात की और संगठन को सक्रिय करने का संदेश दिया।
सोशल मीडिया से जमीनी राजनीति तक
लालू प्रसाद यादव की आरा यात्रा को लेकर भाजपा ने तीखा हमला बोला है। पार्टी प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि लालू यादव स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर जमानत पर बाहर हैं। उन्होंने कहा, “हम उनकी सेहतमंदी की शुभकामनाएं देते हैं, लेकिन चुनावी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए।”
पिछले कुछ वर्षों से लालू यादव सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर ही अधिक सक्रिय दिखते रहे थे। लेकिन चुनाव से ठीक पहले उन्होंने मैदान में उतरने का फैसला किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लालू की यह सक्रियता इस संकेत की ओर इशारा करती है कि वे अब सीधे जनता से जुड़कर तेजस्वी यादव के नेतृत्व को मजबूत करने और पार्टी को गति देने की तैयारी में हैं।
भाजपा का पलटवार
अजय आलोक ने आगे कहा कि गांधी परिवार खुद को सिस्टम से ऊपर समझता है, जबकि लालू परिवार खुद को पूरा सिस्टम मानता है। उनके मुताबिक, “बिहार के लोग मेरे गुलाम हैं” वाली मानसिकता ही सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने दावा किया कि बिहार की जनता अब इस एकाधिकारवादी सोच को नकार रही है।
“लालू परिवार का प्रभाव खत्म” – भाजपा
भाजपा प्रवक्ता ने यह भी कहा कि लालू परिवार का प्रभाव अब खत्म हो चुका है। उनके अनुसार, गांधी परिवार में अभी थोड़ी राजनीतिक ऊर्जा बची है, लेकिन वह भी आने वाले चुनावों में समाप्त हो जाएगी। भाजपा का मानना है कि बिहार की जनता अब नई दिशा चाहती है और महागठबंधन की राजनीति से ऊब चुकी है।
एसआईआर पर भी की टिप्पणी
अजय आलोक ने अपने बयान में हाल ही में चर्चा में आए एसआईआर (समान नागरिक संहिता और अन्य संवैधानिक बहसों से जुड़ा मुद्दा) का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बिहार ने हमेशा देश को नई राह दिखाई है। विपक्ष ने एसआईआर पर हंगामा भी बिहार से ही शुरू किया था, लेकिन यही राज्य अब पूरे देश को इसका समाधान भी दिखाएगा।
चुनावी संदेश और महत्व
लालू यादव की इस सक्रियता को राजनीतिक हलकों में चुनावी बिगुल माना जा रहा है। राजद समर्थक इसे “जनता से सीधा संवाद” कह रहे हैं, जबकि भाजपा इसे “परिवारवाद और सत्ता की भूख” करार दे रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाने के लिए लालू यादव का फिर से सक्रिय होना विपक्षी गठबंधन को नई ताकत देगा।
बिहार की राजनीति में लालू यादव की हर गतिविधि चुनावी समीकरण बदलने की क्षमता रखती है। आरा से शुरू हुई यह यात्रा आने वाले दिनों में राज्यभर में और भी रंग दिखाएगी, यह तय माना जा रहा है।

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