
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव का राजनीतिक जीवन कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है, लेकिन उनके करियर पर चारा घोटाले की छाया हमेशा बनी रही। लालू यादव झारखंड में हुए इस बड़े भ्रष्टाचार कांड से जुड़े पाँच अलग-अलग मामलों में दोषी करार दिए जा चुके हैं और रांची की सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा उन्हें सजा सुनाई गई है। फ़िलहाल वह जमानत पर बाहर हैं।
यह पूरा घोटाला लगभग ₹940 करोड़ के सरकारी खजाने के अवैध गबन से संबंधित था। इस घोटाले के कारण ही लालू यादव को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
पहली सजा और लोकसभा सदस्यता का जाना
चारा घोटाले में लालू यादव को पहली सजा अक्टूबर 2013 में सुनाई गई थी। यह मामला चाईबासा ट्रेजरी से अवैध निकासी से जुड़ा था, जिसमें सीबीआई कोर्ट ने उन्हें पाँच साल की कैद और ₹25 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस सजा के बाद लालू यादव को दो महीने रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में रहना पड़ा। हालांकि, 13 दिसंबर को उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। इस सजा के कारण उन्हें अपनी लोकसभा की सदस्यता भी गंवानी पड़ी थी।

दूसरी और तीसरी सजा
लालू प्रसाद को चारा घोटाले में दूसरी सजा 6 जनवरी 2018 को सुनाई गई थी। यह देवघर कोषागार से ₹89.27 लाख की अवैध निकासी का मामला था, जिसमें कोर्ट ने उन्हें साढ़े तीन साल की सजा सुनाई थी।
इसके कुछ ही दिनों बाद, 23 जनवरी 2018 को उन्हें तीसरी सजा मिली। चाईबासा ट्रेजरी से ₹33.67 करोड़ की अवैध निकासी के एक अन्य मामले में सीबीआई कोर्ट ने लालू प्रसाद को फिर से पाँच साल की कैद और ₹10 लाख जुर्माने की सजा सुनाई।
दुमका और डोरंडा कोषागार मामले में सख्त सजा
लालू यादव को चौथी और सबसे सख्त सजा दुमका ट्रेजरी से ₹3.13 करोड़ की अवैध निकासी मामले में मिली। 15 मार्च 2018 को सीबीआई कोर्ट ने उन्हें पीसी एक्ट और आईपीसी एक्ट में दोषी करार देते हुए सात-सात साल की अलग-अलग कैद की सजा सुनाई थी, साथ ही उन पर ₹1 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
पांचवीं और अंतिम सजा डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में 21 फरवरी 2022 को सुनाई गई, जहां उन्हें पाँच साल की जेल और ₹60 लाख जुर्माने की सजा मिली।

घोटाले का राजनीतिक प्रभाव
चारा घोटाला, जिसमें पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे के नाम पर सरकारी खजाने का पैसा गबन किया गया था, बिहार के इतिहास का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार कांड था। इस घोटाले में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा भी शामिल थे।
लालू यादव इस घोटाले में दोषी पाए जाने वाले सबसे प्रमुख व्यक्ति हैं, और इन सजाओं ने न केवल उनके राजनीतिक करियर को बाधित किया, बल्कि बिहार की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया। वर्तमान में लालू यादव जमानत पर बाहर हैं, लेकिन उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले अभी भी जारी हैं।

नेता और नेतागिरि से जुड़ी खबरों को लिखने का एक दशक से अधिक का अनुभव है। गांव-गिरांव की छोटी से छोटी खबर के साथ-साथ देश की बड़ी राजनीतिक खबर पर पैनी नजर रखने का शौक है। अखबार के बाद डिडिटल मीडिया का अनुभव और अधिक रास आ रहा है। यहां लोगों के दर्द के साथ अपने दिल की बात लिखने में मजा आता है। आपके हर सुझाव का हमेशा आकांक्षी…