
बिहार में एक बार फिर कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई है। राजधानी पटना के पारस अस्पताल में इलाज के दौरान कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई, और अब इस हत्याकांड से जुड़े वीडियो व तस्वीरों ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में हमलावर बाइक पर सवार होकर हथियार लहराते नजर आ रहे हैं और उनके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही है, मानो हत्या का जश्न मना रहे हों।
सीसीटीवी से मिले सुराग, अपराधी खुलेआम हथियार लहराते दिखे
पटना पुलिस को अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज से कुछ अहम सुराग मिले हैं। इन फुटेज में अपराधी घटना को अंजाम देने के बाद बाइक पर फरार होते दिख रहे हैं। बाइक पर तीन लोग सवार हैं, जिनमें से एक खुलेआम पिस्तौल लहरा रहा है। पुलिस का मानना है कि ये तस्वीरें हत्या के तुरंत बाद की हो सकती हैं।
पुलिस ने घटना में शामिल अपराधियों की पहचान कर ली है। इस कांड का मुख्य आरोपी तौसीफ बादशाह है, जो पटना के फुलवारी शरीफ का रहने वाला एक कॉन्ट्रैक्ट किलर है। उसके खिलाफ पहले से आर्म्स एक्ट और कई संगीन धाराओं में मामले दर्ज हैं।

हत्या की वजह — दुश्मनी या सुपारी?
पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या यह हत्या तौसीफ ने पुरानी रंजिश के चलते की, या उसे किसी ने सुपारी दी थी। यह भी आशंका जताई जा रही है कि तौसीफ अन्य राज्यों, विशेषकर उत्तर प्रदेश, में भी शूटरों की व्यवस्था करता था। जांच एजेंसियां उसके संपर्कों और नेटवर्क की गहराई से छानबीन कर रही हैं।
सभी आरोपियों की पहचान, छापेमारी जारी
पटना एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने खुद प्रेस वार्ता कर जानकारी दी कि घटना में शामिल सभी पांच अपराधियों की पहचान कर ली गई है। इनमें तौसीफ के अलावा आकिब मलिक, सोनू, कालू उर्फ मुस्तकीम और भिंडी उर्फ बलवंत सिंह शामिल हैं। पुलिस इन सभी के लोकेशन ट्रेस कर छापेमारी कर रही है।

चुनाव से पहले बढ़ी प्रशासन की चिंता
चंदन मिश्रा की 17 जुलाई को दिनदहाड़े अस्पताल में हत्या से ना सिर्फ जनता में दहशत है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल है। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह की घटनाएं नियम-व्यवस्था को लेकर नई बहस को जन्म दे रही हैं। विपक्ष सरकार को कानून व्यवस्था के मुद्दे पर घेरने की तैयारी में है।
चंदन मिश्रा हत्याकांड और उसके बाद वायरल हुई तस्वीरें एक गंभीर सुरक्षा चूक की ओर इशारा करती हैं। अपराधियों का खुलेआम हथियार लहराना और जश्न मनाना बताता है कि अपराधियों में कानून का कोई डर नहीं बचा है। ऐसे में चुनाव से पहले प्रशासन के सामने अपराध नियंत्रण और जनता का भरोसा कायम करने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

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