
कोलकाता लॉ कॉलेज में एक छात्रा के साथ हुए बलात्कार के मामले में दो अहम फोरेंसिक रिपोर्टों ने तीन मुख्य आरोपियों की संलिप्तता की पुष्टि कर दी है। पुलिस को मोबाइल फोन और ब्लड सैंपल की जांच से ऐसे ठोस सबूत मिले हैं, जो इस जघन्य अपराध में आरोपियों की भूमिका को उजागर करते हैं।
मोबाइल फोन की जांच में कई पुराने अपराध उजागर
सिटी पुलिस सूत्रों के अनुसार, पहली फोरेंसिक रिपोर्ट आरोपी मोनोजीत मिश्रा के मोबाइल फोन की जांच पर आधारित है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि- “मोबाइल फोन के फोरेंसिक विश्लेषण से न केवल हालिया बलात्कार की पुष्टि हुई, बल्कि मिश्रा द्वारा पूर्व में किए गए यौन शोषण के मामलों से जुड़े सबूत भी सामने आए हैं।”
हालांकि, अधिकारियों ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए विस्तृत जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया।
ब्लड सैंपल रिपोर्ट ने जोड़ी कड़ियाँ
दूसरी फोरेंसिक रिपोर्ट लॉ कॉलेज के गार्ड रूम से लिए गए ब्लड सैंपल की जांच पर आधारित है। यह स्थान वही है, जहां कथित तौर पर पीड़िता के साथ बलात्कार किया गया था। पुलिस के मुताबिक- “ब्लड सैंपल रिपोर्ट में मोनोजीत मिश्रा के साथ-साथ दो अन्य आरोपियों – जैब अहमद और प्रमित मुखोपाध्याय की मौजूदगी की पुष्टि हुई है।”
मुख्य आरोपी और मददगार की पहचान स्पष्ट
फोरेंसिक रिपोर्टों और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर मिश्रा को बलात्कार का मुख्य आरोपी माना जा रहा है। जबकि जैब अहमद और प्रमित मुखोपाध्याय को मददगार और अपराध में सहयोगी के रूप में देखा जा रहा है। ये दोनों आरोपी मिश्रा के साथ मिलकर पीड़िता को गार्ड रूम तक ले जाते हुए सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए थे।
60 गवाहों के बयान दर्ज
जांच अधिकारियों ने अब तक 60 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। इनमें कॉलेज के स्टाफ, छात्र और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। इन बयानों ने भी आरोपियों की भूमिका को स्पष्ट करने में मदद की है।
सीसीटीवी फुटेज और चाल-ढाल का विश्लेषण
पुलिस ने इस सप्ताह तीनों आरोपियों की चाल-ढाल और शारीरिक भाषा का वैज्ञानिक विश्लेषण किया। यह मिलान सीसीटीवी फुटेज में दर्ज हरकतों से किया गया ताकि आरोपी की पहचान पुख्ता की जा सके।
घसीटते हुए ले जाने की पुष्टि
सीसीटीवी फुटेज में आरोपियों को पीड़िता को बलपूर्वक गार्ड रूम की ओर घसीटते हुए देखा गया है। वहीं, यही वह स्थान है जहां अपराध को अंजाम दिया गया। फोरेंसिक रिपोर्टों, सीसीटीवी फुटेज, गवाहों के बयान और वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर पुलिस को अब आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत मिल चुके हैं। इस मामले में न्याय प्रक्रिया को तेज करने की तैयारी चल रही है, ताकि पीड़िता को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।

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