
लंदन में रहने वाले मराठी समुदाय की वर्षों पुरानी मांग आखिरकार पूरी हो गई है। महाराष्ट्र सरकार ने लंदन महाराष्ट्र मंडल को ‘महाराष्ट्र भवन’ स्थापित करने के लिए 5 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता को मंजूरी दे दी है। इस राशि का उपयोग ‘चर्च ऑफ इंग्लैंड’ की एक इमारत खरीदने के लिए किया जाएगा, जिसे बाद में महाराष्ट्र भवन में बदल दिया जाएगा।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने यह घोषणा गणेशोत्सव के शुभ अवसर पर की। इस फैसले से लंदन स्थित मराठी समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई है। महाराष्ट्र मंडल के सदस्यों ने इस कदम के लिए उपमुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है और इसे उनके लिए एक अनमोल तोहफा बताया है।
93 साल का इंतजार खत्म
महाराष्ट्र मंडल, लंदन, यूनाइटेड किंगडम में मराठी संस्कृति को जीवित रखने वाली सबसे पुरानी संस्थाओं में से एक है। इसकी स्थापना 1932 में महात्मा गांधी के निजी सचिव डॉ. एनसी केलकर ने की थी। पिछले 93 वर्षों से यह संस्था किराए की इमारतों में अपने सभी सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित कर रही थी। अब इस स्थायी इमारत के मिलने से मराठी समुदाय को एक मजबूत सांस्कृतिक केंद्र मिलेगा।
कैसे हुआ फैसला?
पिछले सप्ताह ही महाराष्ट्र मंडल के प्रतिनिधियों ने पुणे में उपमुख्यमंत्री अजित पवार से मुलाकात कर इस भवन के लिए आर्थिक सहायता की अपील की थी। पवार ने इस प्रस्ताव पर तुरंत सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और अधिकारियों को इस पर काम करने का निर्देश दिया। इसके बाद, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की स्वीकृति के बाद राज्य सरकार ने 5 करोड़ रुपए की सहायता राशि को मंजूरी दी। इस तेजी से लिए गए फैसले ने मराठी समुदाय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाया है।

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मराठी संस्कृति
यह भवन सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि लंदन में रहने वाले मराठी समुदाय का एक सांस्कृतिक केंद्र बनेगा। यहां पर मराठी साहित्य, नृत्य, संगीत और भाषा की कक्षाएं, कार्यशालाएं, और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। यह भवन भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र भवन के माध्यम से मराठी संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मंच मिलेगा और मराठी भाषा को भी वैश्विक पहचान मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह भवन दुनिया भर में फैले मराठी समाज के लिए गौरव का प्रतीक बनेगा। यह फैसला न केवल लंदन के मराठी समुदाय के लिए एक बड़ी राहत है, बल्कि यह महाराष्ट्र सरकार की सांस्कृतिक विरासत को विदेशों में बढ़ावा देने की रणनीति का भी एक हिस्सा है।
यह कदम एक उदाहरण है कि कैसे सरकारें विदेशों में रहने वाले अपने समुदायों की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में मदद कर सकती हैं, जिससे वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें और अपनी संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर सकें।

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