
महाराष्ट्र में पुणे स्थित एक चैरिटेबल ट्रस्ट की जमीन की अवैध बिक्री को लेकर राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल पर गंभीर आरोप लगे हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस ने शनिवार को मोहोल के इस्तीफे और मामले की जांच की मांग की है।
कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंढे पाटिल ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आरोप लगाया कि हीराचंद दिगंबर जैन छात्रावास और मंदिर वाली जमीन को गोखले बिल्डर्स को 230 करोड़ रुपए में बेचा गया, जबकि उसकी वास्तविक कीमत लगभग 2,500 करोड़ रुपए आंकी गई है।

पाटिल ने कहा कि ट्रस्ट डीड में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि यह जमीन कभी बेची नहीं जा सकती और इसका उपयोग केवल शैक्षणिक कार्यों, छात्रों की सहायता और मंदिर संचालन के लिए ही किया जा सकता है। यदि धन की आवश्यकता हो, तो दुकानें या व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाकर किराए से आय अर्जित की जा सकती है, लेकिन जमीन की बिक्री वर्जित है।
कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि एक ही दिन में बिक्री विलेख, गिरवीकरण, दो बैंकों से ऋण स्वीकृति और धनराशि जारी कैसे संभव हुआ। पाटिल ने कहा कि बिना राजनीतिक संरक्षण के इतनी तेज़ प्रक्रिया संभव नहीं है।
मोहोल ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि उनका नाम अनावश्यक रूप से घसीटा गया है और उन्होंने गोखले बिल्डर्स से दिसंबर 2024 में इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने जमीन सौदे की रद्दीकरण प्रक्रिया का स्वागत भी किया है।
कांग्रेस ने मांग की है कि मोहोल को मंत्री पद से हटाया जाए और स्वतंत्र जांच की जाए। यदि वे बेदाग साबित होते हैं, तो सरकार में वापसी संभव है, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
यह मामला जैन समुदाय और सामाजिक संगठनों के बीच भी चिंता का विषय बना हुआ है, और राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।

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