
ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखा हमला करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सपा न केवल संविधान का सम्मान नहीं करती, बल्कि मुस्लिम समुदाय के साथ दोहरा रवैया अपनाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक कार्यक्रम के दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया, केवल इसलिए क्योंकि वह मुस्लिम हैं।
“सपा कार्यकर्ताओं ने की गुंडागर्दी”
मौलाना रशीदी ने बताया कि कार्यक्रम में उन्हें सपा कार्यकर्ताओं ने जानबूझकर निशाना बनाया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। उन्होंने कहा, “मैं मुस्लिम हूं, इसलिए मेरे साथ ऐसा व्यवहार हुआ। सपा कार्यकर्ता डिंपल यादव और अखिलेश यादव की नजरों में आने के लिए ऐसी हरकतें करते हैं।” उन्होंने इसे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों का खुला उल्लंघन बताया।
“महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बावजूद सपा चुप”
रशीदी ने यह भी आरोप लगाया कि सपा ने अतीत में हिंदू महिलाओं के खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं, लेकिन पार्टी ने कभी अपने नेताओं पर कार्रवाई नहीं की। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर भाजपा या किसी अन्य पार्टी के नेता ऐसा करते तो सपा किस तरह की प्रतिक्रिया देती?
“भाजपा के विरोध से सपा का चेहरा उजागर”
उन्होंने यह भी कहा कि जब भाजपा ने संसद में उनके खिलाफ विरोध किया और उनकी टिप्पणियों को महिलाओं के लिए अपमानजनक बताया, तब सपा ने अलग तरह का व्यवहार दिखाया। रशीदी ने सवाल उठाया, “अगर मैं भाजपा के साथ होता, तो क्या सपा का व्यवहार वैसा ही होता?”
डीसीबी सेंटर में की लिखित शिकायत
मौलाना रशीदी ने बताया कि उन्होंने इस मामले में डीसीबी सेंटर में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने धमकी देने वालों के मोबाइल नंबर भी पुलिस को सौंपे हैं। उन्होंने कहा, “अगर सपा सच में मुस्लिमों की हितैषी पार्टी है, तो उसे इन लोगों को पार्टी से बाहर निकालना चाहिए या स्पष्ट करना चाहिए कि इनका पार्टी से कोई संबंध नहीं है।”
“माफी मांग लेने से गरिमा नहीं लौटती”
रशीदी ने कहा कि अब तक सपा ने इस मुद्दे पर न तो कोई माफी मांगी है और न ही कोई स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा, “अगर माफी मांग भी लें, तो क्या इकरा हसन, असदुद्दीन ओवैसी या सूफिया कुरैशी की गरिमा बहाल हो जाएगी?” उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम कुछ कहें, तो हंगामा मचता है, लेकिन अगर यही बात कोई हिंदू कहे तो वैसी प्रतिक्रिया नहीं होती।
“जरूरत हो तो माफी देने को तैयार, लेकिन…”
मौलाना रशीदी ने स्पष्ट किया कि अगर उनकी किसी बात से गलतफहमी हुई है, तो वे माफी मांगने को तैयार हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा, “अगर मैं माफी मांगूंगा, तो ये लोग कहेंगे कि मैं डर गया हूं।” उन्होंने सपा से मांग की कि पार्टी को अब यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह मुस्लिम समुदाय के साथ खड़ी है या नहीं।
मौलाना साजिद रशीदी के आरोपों से सपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनके आरोप केवल एक व्यक्तिगत विवाद नहीं, बल्कि पार्टी की मुस्लिमों के प्रति नीति और रवैये पर सवाल खड़े करते हैं। अब देखना होगा कि समाजवादी पार्टी इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या कोई सफाई या कार्रवाई सामने आती है।

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