
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा पिछड़े वर्गों से माफी मांगने और कांग्रेस की विफलता स्वीकार करने पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कड़ा तंज कसा है। उन्होंने इस बयान को “स्वार्थ की राजनीति” करार देते हुए कहा कि कांग्रेस की कथनी और करनी में हमेशा फर्क रहा है। राहुल गांधी का यह कथन केवल राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश है, न कि सच्चे आत्मचिंतन का परिणाम।
कांग्रेस की ऐतिहासिक विफलता की याद दिलाई
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी, एससी और एसटी वर्गों के साथ हमेशा विश्वासघात किया है। उनका कहना है कि कांग्रेस की यह नीति कोई नई नहीं है। पिछड़े समाज को उनका हक देने में कांग्रेस का रवैया निराशाजनक और अवसरवादी रहा है, और राहुल गांधी का माफी मांगना इस सच्चाई को नहीं छिपा सकता।
कांग्रेस की नीयत और नीति पर उठाए सवाल
बसपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब उसने इन वर्गों को आरक्षण, सम्मान और अधिकार देने में लगातार देरी की। मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न देने में भी देरी की और ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ देने में लगभग 40 वर्ष लगा दिए। उन्होंने इसे कांग्रेस की जातिवादी मानसिकता का स्पष्ट उदाहरण बताया।
बीजेपी पर भी साधा निशाना
मायावती ने अपने बयान में सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि भाजपा और एनडीए पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सत्तारूढ़ भाजपा भी ओबीसी, एससी और एसटी वर्गों के प्रति दोहरा रवैया अपना रही है। मायावती ने आरोप लगाया कि सभी जातिवादी पार्टियों ने मिलकर इन वर्गों के आरक्षण को धीरे-धीरे निष्क्रिय और निष्प्रभावी बना दिया है।
बसपा की भूमिका को बताया सबसे विश्वसनीय
मायावती ने दावा किया कि बहुजन समाज को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने का काम सिर्फ और सिर्फ बसपा ने किया है। उन्होंने कहा कि जब उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार थी, तब सभी वर्गों के गरीबों, मजलूमों और बहुजन समाज के लोगों की जान-माल की सुरक्षा, मजहब की आजादी और गरिमा की पूरी गारंटी थी। बसपा की नीतियों ने कभी भेदभाव नहीं किया।
‘घड़ियाली आंसू’ और वोट बैंक की राजनीति
राहुल गांधी की माफी को मायावती ने “घड़ियाली आंसू” करार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जैसे दल सत्ता से बाहर होने पर ही बहुजन समाज को याद करते हैं, और जब सत्ता में होते हैं तो उन्हीं के अधिकारों को नजरअंदाज करते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस को उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों से जनसमर्थन खोना पड़ा।
बहुजन समाज को दी चेतावनी
मायावती ने अपने बयान के अंत में देश के दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों के लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे कांग्रेस, सपा और अन्य जातिवादी दलों के बहकावे में न आएं। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज का भविष्य केवल बीएसपी की ‘आयरन गारंटी’ में सुरक्षित है। यही रास्ता उनकी सुख, शांति और समृद्धि की ओर ले जाएगा।
राहुल गांधी के माफी वाले बयान ने जहां एक ओर राजनीति में आत्मचिंतन की झलक दिखाई, वहीं मायावती ने इसे पूरी तरह राजनीतिक पाखंड और अवसरवाद करार दिया है। उनके मुताबिक, बसपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो सच में बहुजन समाज की हितैषी है और अन्य सभी पार्टियाँ सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करती हैं। ऐसे में 2024 की चुनावी लड़ाई में यह वैचारिक टकराव और अधिक तीखा होता दिख रहा है।

गांव से लेकर देश की राजनीतिक खबरों को हम अलग तरीके से पेश करते हैं। इसमें छोटी बड़ी जानकारी के साथ साथ नेतागिरि के कई स्तर कवर करने की कोशिश की जा रही है। प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक की राजनीतिक खबरें पेश करने की एक अलग तरह की कोशिश है।