
संसद की एक स्थायी समिति ने फर्जी खबरों को सार्वजनिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक गंभीर खतरा बताया है। इस चुनौती से निपटने के लिए, समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में सभी प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संगठनों में अनिवार्य रूप से फैक्ट चेक मेकेनिज्म और आंतरिक लोकपाल रखने की सिफारिश की है।
मंगलवार को अपनाई गई अपनी रिपोर्ट में, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति ने फर्जी खबरों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों में संशोधन, जुर्माना बढ़ाने और जवाबदेही तय करने का भी आह्वान किया है।
‘लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गंभीर खतरा’
समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में कहा है कि फर्जी खबरें और गलत सूचनाएं समाज में अशांति फैलाने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने का काम करती हैं। इसलिए, इन पर अंकुश लगाना बेहद जरूरी है। सूत्रों के मुताबिक, समिति ने कई सुझाव दिए हैं, जिनमें सरकारी, निजी और स्वतंत्र फैक्ट चेकर्स सहित सभी हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना भी शामिल है।
अनिवार्य फैक्ट चेक और आंतरिक लोकपाल
रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि फैक्ट चेक मेकेनिज्म और आंतरिक लोकपाल सभी मीडिया संगठनों के लिए अनिवार्य हों। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि किसी भी फर्जी खबर को प्रकाशित या प्रसारित होने से पहले ही रोका जा सके और उसकी जिम्मेदारी तय की जा सके। यह सिफारिश मीडिया में जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
दंडात्मक प्रावधानों में संशोधन और जवाबदेही तय करने की सिफारिश
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। इसमें मौजूदा दंडात्मक प्रावधानों में संशोधन करके उन्हें और कठोर बनाना, साथ ही जुर्माने की राशि को बढ़ाना भी शामिल है। समिति ने अपनी रिपोर्ट सर्वसम्मति से स्वीकार कर ली, जिससे यह पता चलता है कि फर्जी खबरों की समस्या से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों को सभी राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल है।
एआई के दुरुपयोग पर भी ध्यान केंद्रित
निशिकांत दुबे ने एक फर्जी खबर का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि उनकी समिति ने लोकसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में गलत सूचना पर सख्त कदमों की सिफारिश की गई है। इसके अलावा, समिति ने एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के दुरुपयोग से तैयार की गई फर्जी खबरों और महिलाओं व बच्चों के बारे में आपत्तिजनक सामग्री पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दी है, और अगले संसद सत्र के दौरान इसे सदन में पेश किए जाने की संभावना है।

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