
मध्य प्रदेश के इंदौर में रविवार को मानव सृष्टि आरोग्य केंद्र का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि वर्तमान समय में स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों का जीवन में विशेष महत्व है, क्योंकि ज्ञान प्राप्त करने के लिए शिक्षा जरूरी है और शिक्षा के लिए स्वस्थ शरीर अनिवार्य है
भागवत ने कहा कि आज शिक्षा और स्वास्थ्य सामान्य व्यक्ति की आर्थिक पहुंच से बाहर हो गए हैं। पहले ये कार्य सेवा भाव से होते थे और शिक्षा देना एक जिम्मेदारी मानी जाती थी। शिक्षक और छात्र दोनों ही ज्ञान के लिए गंभीर रहते थे, लेकिन अब इन क्षेत्रों में व्यावसायिकता बढ़ गई है।
उन्होंने कैंसर का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे रोगों में मरीज की हिम्मत सबसे बड़ा उपचार है। डॉक्टर और मरीज के बीच संवाद से रोगी का आत्मविश्वास बना रहता है। उन्होंने यह भी कहा कि एलोपैथी स्वयं मानती है कि कुछ बीमारियां केवल आयुर्वेद या नेचुरोपैथी से ही ठीक होती हैं।
भागवत ने वैश्विक चिकित्सा मानकों पर सवाल उठाते हुए कहा कि पश्चिमी देशों के शोध को पूरी दुनिया में लागू करना उचित नहीं है, क्योंकि हर देश की जलवायु और खानपान अलग है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इलाज तय करने में मरीज की स्थिति और उसकी आवश्यकताओं का परीक्षण होना चाहिए।
कार्यक्रम में शहर के कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे और मानव सृष्टि आरोग्य केंद्र के माध्यम से लोगों को आयुर्वेद, नेचुरोपैथी और अन्य उपचार पद्धतियों से लाभ पहुंचाने की योजना प्रस्तुत की गई।

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