
लोकसभा चुनाव के बाद भी चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठने जारी हैं। रविवार को हुई चुनाव आयोग की प्रेस वार्ता पर समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद वीरेंद्र सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने विपक्ष के सवालों का जवाब देने की बजाय भाजपा की स्क्रिप्ट पढ़ी।
चंदौली जिले के सपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि चुनाव आयोग विपक्ष द्वारा उठाए गए ‘वोट चोरी’ जैसे गंभीर मुद्दों पर जवाब देगा। लेकिन, उनके अनुसार, आयोग ने ऐसा नहीं किया और अपनी निष्पक्ष भूमिका निभाने में विफल रहा। उन्होंने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि प्रेस वार्ता में चुनाव आयोग भाजपा की लिखी हुई स्क्रिप्ट पढ़ रहा था। यह आरोप ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ का आरोप लगा रहे हैं और इसके विरोध में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ पर हैं।
उपराष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाए जाने पर भी वीरेंद्र सिंह ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद के लिए एक ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के ‘खाटी सदस्य’ हैं।
इस फैसले पर वीरेंद्र सिंह ने एनडीए के घटक दलों को भी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि जब उम्मीदवार का चयन केवल भाजपा को ही करना है तो क्या एनडीए में शामिल अन्य दलों की कोई वास्तविक अहमियत है या नहीं? उन्होंने एनडीए के सहयोगी दलों से इस बात पर विचार करने के लिए कहा है कि क्या उनका गठबंधन में बने रहना सही है।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए ‘इंडिया ब्लॉक’ की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर वीरेंद्र सिंह ने बताया कि फिलहाल, हमारे नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ पर हैं। यह यात्रा सासाराम से शुरू होकर कई जिलों से होकर गुजरेगी। उम्मीद है कि राहुल गांधी 19 अगस्त को बिहार से दिल्ली लौटेंगे। उनकी वापसी के बाद ही ‘इंडिया ब्लॉक’ की बैठक होगी, जिसमें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
वीरेंद्र सिंह के ये बयान यह दर्शाते हैं कि विपक्षी दल चुनाव आयोग और भाजपा दोनों पर हमलावर हैं। ‘वोट चोरी’ का आरोप और अब उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन पर सवाल उठाना, ये सब विपक्ष की उस रणनीति का हिस्सा हैं जिसके तहत वह जनता के बीच यह संदेश देना चाहता है कि मौजूदा व्यवस्था पक्षपातपूर्ण है।

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