
समाजवादी पार्टी के संस्थापक और देश के पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव की आज तीसरी पुण्यतिथि है। इस अवसर पर पूरा देश और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। सैफई के एक धूल भरे अखाड़े से शुरू हुआ मुलायम सिंह यादव का सफर, भारतीय राजनीति में सामाजिक न्याय के सबसे बड़े योद्धा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के शिखर तक पहुंचा। उनका जीवन संघर्ष, साहस और ‘धरती पुत्र’ के रूप में करोड़ों लोगों के दिल पर राज करने की एक मिसाल है।
पहलवानी से नेतागिरी तक का सफर
22 नवंबर 1939 को इटावा के सैफई गांव में मूर्ति देवी और सुघर सिंह के घर जन्मे मुलायम सिंह यादव एक साधारण किसान परिवार से आते थे। सैफई के अखाड़े में कुश्ती लड़ते हुए उन्होंने जो दांव-पेंच सीखे, उन्हें बाद में राजनीति के मैदान में बखूबी इस्तेमाल किया।
शिक्षा और शुरुआती करियर पर एक नजर..
- उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।
- 1963 में करहल के जैन इंटर कॉलेज में अध्यापक बने, लेकिन उनका झुकाव जल्द ही छात्र राजनीति की ओर हो गया।
- वे डॉ. राम मनोहर लोहिया और राज नारायण जैसे समाजवादी नेताओं के विचारों से गहरे रूप से प्रभावित हुए।

राजनीति में पहला कदम और ‘नेताजी’ का उदय
मुलायम सिंह यादव ने 1967 में पहली बार जसवंतनगर सीट से विधायक बनकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। उनकी यात्रा में कई बड़े पड़ाव आए:
- 1975 की इमरजेंसी के दौरान उन्हें 19 महीने जेल में रहना पड़ा, लेकिन उनका संकल्प और मजबूत हुआ।
- 1977 में 38 साल की उम्र में वे राम नरेश यादव सरकार में सहकारिता मंत्री बने, जहाँ उनकी छवि एक कुशल प्रशासक और किसानों के हितरक्षक के रूप में स्थापित हुई।
- 1980 के दशक में लोक दल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उनका कद तेजी से बढ़ा।
पहला मुख्यमंत्री कार्यकाल (1989)
1989 में जनता दल की लहर में मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। यह पहला मौका था जब किसी समाजवादी नेता ने यूपी की कमान संभाली। उनके इस कार्यकाल में किसान कल्याण और पिछड़ा वर्ग आरक्षण पर विशेष जोर दिया गया।
समाजवादी पार्टी की स्थापना और सामाजिक न्याय का संघर्ष
- 1992 में, मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की, जो आज भी उत्तर प्रदेश की प्रमुख राजनीतिक ताकत बनी हुई है।
- 1993 में, उन्होंने बसपा के साथ गठबंधन कर दोबारा मुख्यमंत्री बनकर भाजपा को सत्ता से दूर रखा।
- अपने तीन बार के मुख्यमंत्री कार्यकाल में उन्होंने पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं।
- उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मंडल आयोग की सिफारिशों का समर्थन करते हुए सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ना रही, जिसने पिछड़ों को मुख्यधारा में लाने का काम किया।
केंद्र की राजनीति और रक्षा मंत्री का पद
मुलायम सिंह यादव का केंद्र की राजनीति में प्रवेश 1996 में हुआ, जब वे संयुक्त मोर्चा सरकार में देश के रक्षा मंत्री बने। रक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने कई बड़े और साहसिक फैसले लिए, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिली।

विवाद और विरासत
‘नेताजी’ का राजनीतिक जीवन जितना शानदार रहा, उतना ही विवादित भी।
- अयोध्या कांड (1990): कारसेवकों पर गोली चलाने के उनके फैसले ने उन्हें ‘मुल्ला मुलायम’ का उपनाम दिलाया, जिससे हिंदू वोटरों के एक वर्ग में नाराजगी फैली।
- उन पर परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप भी लगे, लेकिन उनकी ताकत उनकी सीधी बोलचाल, किसानों से गहरा जुड़ाव और मजबूत गठबंधन की क्षमता रही।
- मुलायम सिंह यादव लोकसभा में 7 बार और विधानसभा में 10 बार जीतकर एक अटूट रिकॉर्ड बनाया। वे प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए, लेकिन उन्होंने हमेशा यूपी और देश की सियासत को गहराई से प्रभावित किया।
10 अक्टूबर 2022 को 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, लेकिन ‘धरती पुत्र’ के रूप में उनकी विरासत, संघर्ष और सामाजिक न्याय की विचारधारा आज भी जिंदा है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।

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