
रक्षाबंधन का त्योहार इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए खास होने वाला है। काशी की मुस्लिम और हिंदू महिलाओं ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ थीम पर राखियां तैयार कर प्रधानमंत्री को भेजने का निर्णय लिया है। इन राखियों के जरिए महिलाएं उन्हें भाई का दर्जा देते हुए तीन तलाक कानून खत्म करने और हालिया सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के लिए आभार व्यक्त करेंगी।
मुस्लिम महिला फाउंडेशन के नेतृत्व में तैयार हुईं राखियां
राखियों को मुस्लिम महिला फाउंडेशन के बैनर तले तैयार किया गया। फाउंडेशन की सदस्याओं ने बताया कि यह परंपरा कोई नई नहीं है — हर साल वे पीएम मोदी को राखी भेजती हैं। लेकिन इस बार की राखी विशेष है क्योंकि यह भारत की बेटियों के सम्मान और सुरक्षा से जुड़ी दो अहम उपलब्धियों – तीन तलाक की समाप्ति और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ – को समर्पित है।
नाजनीन अंसारी, फाउंडेशन की प्रमुख सदस्य, ने कहा, “सिंदूर भारतीय नारी का सम्मान होता है। प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से देश की बेटियों के स्वाभिमान की रक्षा की, वह एक बड़े भाई की भूमिका जैसा है। यही भावना इस बार की राखियों में समाहित है।”

राखियों के साथ भेजेंगी आभार पत्र
महिलाएं राखियों के साथ प्रधानमंत्री को धन्यवाद पत्र भी भेजेंगी। पत्रों में तीन तलाक कानून खत्म करने के लिए उनका आभार जताया जाएगा, जिससे मुस्लिम महिलाओं को न्याय और समानता का अधिकार मिला। साथ ही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने और बेटियों की अस्मिता की रक्षा के लिए भी उन्हें धन्यवाद दिया जाएगा।
हिंदू-मुस्लिम बहनों की साझा पहल
इस पहल की खास बात यह रही कि राखियां केवल मुस्लिम महिलाओं ने नहीं, बल्कि हिंदू बहनों ने भी मिलकर बनाई हैं। यह धार्मिक एकता और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है। फाउंडेशन की सदस्य नजमा परवीन ने कहा, “हम सभी बहनें मिलकर यह संदेश दे रही हैं कि भारत में एकता की शक्ति सबसे बड़ी है। हम साथ मिलकर राखी बनाते हैं और साथ मिलकर देश के प्रधानमंत्री को आशीर्वाद स्वरूप भेजते हैं।”
पीएम मोदी को भाई के रूप में देखती हैं बहनें
कई महिलाओं ने भावुकता के साथ कहा कि पीएम मोदी उनके लिए केवल देश के नेता नहीं हैं, बल्कि एक सच्चे भाई हैं जिन्होंने बहनों के सम्मान की रक्षा के लिए साहसी फैसले लिए हैं। खुर्शीद बानो ने कहा, “हर साल हम अपने हाथों से बनाई गई राखी उन्हें भेजते हैं, लेकिन इस बार का अवसर बहुत खास है। जिस तरह उन्होंने हमारी इज्जत और हक की रक्षा की है, वह हम कभी नहीं भूल सकते।”
खुशियों और उम्मीद का माहौल
फाउंडेशन के केंद्र पर राखी बनाने के दौरान महिलाएं उत्साह और गर्व से भरी हुई थीं। एक ओर देशभक्ति के गीत बज रहे थे, तो दूसरी ओर भाईचारे और समर्पण का भाव साफ दिखाई दे रहा था। सभी की यही कामना थी कि प्रधानमंत्री मोदी इन राखियों को स्वीकार करें और देश की बहनों की दुआएं उनके साथ रहें।

काशी से भेजी गई इन राखियों के जरिए सिर्फ एक भाई को प्रेम और आशीर्वाद नहीं भेजा जा रहा, बल्कि एक समर्पण, आभार और सांस्कृतिक एकता का संदेश भी पूरे देश को दिया जा रहा है। यह पहल बताती है कि भारत की बेटियां, चाहे किसी भी धर्म की हों, जब साथ आती हैं, तो देश को एक नई दिशा मिलती है।

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