
उपराष्ट्रपति पद का चुनाव अब केवल दो उम्मीदवारों का मुकाबला नहीं, बल्कि एक दिलचस्प राजनीतिक खींचतान बन गया है। जहाँ एनडीए ने सी.पी. राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है, वहीं विपक्षी ‘इंडिया’ ब्लॉक ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी पर दांव खेला है। इस चुनावी माहौल के बीच, बी. सुदर्शन रेड्डी ने एक बड़ा दावा करते हुए कहा है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें समर्थन न देने की बात नहीं कही है।
‘यह चुनाव सांकेतिक नहीं, बल्कि वैचारिक है’
बी. सुदर्शन रेड्डी ने अपनी उम्मीदवारी को ‘भारत के संविधान की रक्षा और बचाव’ की लड़ाई बताया। उन्होंने कहा, “यह चुनाव बिल्कुल सांकेतिक नहीं है।” रेड्डी ने माना कि लोग सांसदों को उनकी पार्टी के हिसाब से देखते हैं, लेकिन मतदान व्यक्तिगत रूप से होगा। उन्होंने सभी सांसदों से अपने लिए वोट देने की अपील की। यह बयान एक तरह से एनडीए के भीतर असंतुष्ट सांसदों को लुभाने की कोशिश मानी जा रही है, जो अपने विवेक से मतदान कर सकते हैं।
नायडू और नीतीश पर रेड्डी का दावा
सबसे बड़ा राजनीतिक दावा रेड्डी ने चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के बारे में किया। उन्होंने कहा कि दोनों नेता उन्हें अच्छी तरह जानते हैं और उन्होंने अभी तक यह नहीं कहा है कि वे उन्हें समर्थन नहीं देंगे। रेड्डी ने कहा, “उन्होंने बस इतना ही बोला है कि अभी एनडीए में हैं और एनडीए का जो कैंडिडेट है, उसके साथ उन्हें चलना पड़ेगा। अब आगे देखना होगा कि वे क्या सोचते हैं।”

रेड्डी का यह बयान दिखाता है कि विपक्षी ‘इंडिया’ ब्लॉक एनडीए के उन प्रमुख सहयोगियों को भी अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है जो भाजपा के साथ अपने संबंधों को लेकर पूरी तरह से सहज नहीं माने जाते। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दोनों ही अपनी-अपनी मजबूरियों के चलते भाजपा के साथ हैं, और विपक्षी खेमा इसी बात का फायदा उठाना चाहता है।
चुनावी गणित और मतदान प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए दोनों उम्मीदवारों, सी.पी. राधाकृष्णन (जो वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं) और बी. सुदर्शन रेड्डी ने नामांकन दाखिल कर दिया है। चुनाव 9 सितंबर को होगा और उसी दिन नतीजे भी घोषित किए जाएंगे। भारत निर्वाचन आयोग ने इस चुनाव के लिए दो अपर सचिव रैंक के अधिकारियों को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है, ताकि चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।
यह चुनाव एनडीए और ‘इंडिया’ ब्लॉक दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। जहाँ एक तरफ एनडीए अपनी एकजुटता और संख्या बल के दम पर जीत का दावा कर रहा है, वहीं ‘इंडिया’ ब्लॉक यह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि वह संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा के लिए खड़ा है। बी. सुदर्शन रेड्डी का यह दावा इस लड़ाई में एक नया मोड़ ला सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नायडू और नीतीश कुमार वाकई ‘इंडिया’ ब्लॉक के उम्मीदवार के समर्थन में जाते हैं, या फिर वे एनडीए के साथ ही बने रहते हैं।

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