
देश के प्रमुख धार्मिक संतों में शुमार जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शनिवार को एक विशेष संवाद के दौरान समसामयिक धार्मिक, राजनीतिक और वैश्विक मुद्दों पर अपनी बेबाक और संतुलित राय दी। उनकी बातों में न सिर्फ गहराई थी, बल्कि वर्तमान भारत की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति पर एक संत की दृष्टि से विचार भी झलकता है।
प्रधानमंत्री मोदी की स्थिरता पर संत की स्पष्ट राय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक स्थिति को लेकर उन्होंने कहा कि उन्हें चुनौती देना आसान नहीं है। “लोग कोशिश कर रहे हैं, पर अब तक कोई उन्हें हिला नहीं पाया,” उन्होंने साफ तौर पर कहा। उन्होंने माना कि राहुल गांधी जैसे नेता प्रयासरत हैं, लेकिन मोदी की जड़ें गहरी हैं और वे जिस स्थान पर खड़े हैं, वह अब तक अडिग बना हुआ है। यह कहना एक निष्पक्ष और यथार्थवादी दृष्टिकोण है, जो किसी भी राजनीतिक पूर्वाग्रह से मुक्त है।
वैश्विक राजनीति में मोदी की भूमिका
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि मोदी अपनी पार्टी में सबसे ताकतवर नेता हैं। “जो नियम चाहते हैं, वही बनाते हैं और सभी को उसका पालन करना होता है।” यह टिप्पणी राजनीति के भीतर चल रही व्यवस्थाओं की ओर भी संकेत करती है और यह दर्शाती है कि पार्टी में उनका नेतृत्व न केवल स्वीकार्य है, बल्कि निर्णायक भी है।
ईमानदारी को सराहना: केजरीवाल और बागेश्वर बाबा का उदाहरण
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर नोबेल पुरस्कार की मांग पर शंकराचार्य ने कहा कि भले ही कोई इस बात से सहमत न हो, लेकिन खुलकर बोलने की ईमानदारी काबिले तारीफ है। आज जहां अधिकतर लोग पर्दे के पीछे रहकर प्रयास करते हैं, वहां किसी का खुलकर बोलना साहसिक है। इसी तरह, बागेश्वर बाबा (धीरेंद्र शास्त्री) पर अखिलेश यादव की टिप्पणी पर भी उन्होंने निष्पक्ष राय दी कि चंदा लेना गलत नहीं, बल्कि पारदर्शिता ज़रूरी है।
उन्होंने कहा, “सभी राजनीतिक दल चंदा लेते हैं, लेकिन कोई ऑडिट नहीं करता। बाबा ने लिया तो छिपाया नहीं, यह ईमानदारी है।”
धर्मांतरण पर संत की दृढ़ और सटीक दृष्टि
धर्मांतरण के विषय पर उन्होंने स्पष्ट राय रखते हुए कहा कि किसी को बरगलाकर धर्म परिवर्तन कराना अनुचित है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस प्रक्रिया को पारदर्शी और नियामक बनाना चाहिए। जिला प्रशासन को पूर्व सूचना दी जाए, दोनों पक्षों के विशेषज्ञ मौजूद हों, ताकि छल और धोखे की गुंजाइश न रहे। यह विचार धार्मिक समरसता और सामाजिक एकता की दिशा में एक सकारात्मक सुझाव है।
कलाकारों को राजनीति से दूर रहने की सलाह
कनाडा में कपिल शर्मा के कैफे पर हुई फायरिंग की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि कलाकारों को राजनीति से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। “जब वे राजनीतिक संबंध बनाते हैं, तो विरोधी उन्हें निशाना बनाते हैं।” उन्होंने सुझाव दिया कि कला के क्षेत्र में लगे लोगों को केवल अपनी प्रतिभा और सेवा पर केंद्रित रहना चाहिए, राजनीति में नहीं उलझना चाहिए।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का यह संवाद न केवल सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि उन्होंने अत्यंत संतुलित और साहसी रूप से अपनी बातें रखीं। उन्होंने धर्म, राजनीति और समाज के बीच सामंजस्य बैठाने के लिए सार्थक सुझाव दिए, जो लोकतांत्रिक भारत में स्वस्थ विमर्श की मिसाल हैं। उनके विचार न केवल मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, बल्कि समाज को सोचने और दिशा तय करने का अवसर भी देते हैं।

गांव से लेकर देश की राजनीतिक खबरों को हम अलग तरीके से पेश करते हैं। इसमें छोटी बड़ी जानकारी के साथ साथ नेतागिरि के कई स्तर कवर करने की कोशिश की जा रही है। प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक की राजनीतिक खबरें पेश करने की एक अलग तरह की कोशिश है।