
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया तेज हो गई है। पितृपक्ष समाप्त होने और नवरात्रि शुरू होने के साथ ही, पार्टी उन छह राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा कर सकती है, जहां यह पद खाली है। बुधवार देर शाम भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेताओं के बीच हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में इस पर सहमति बनी।
संगठनात्मक चुनावों पर मंथन
बुधवार को भाजपा के पुराने मुख्यालय में देर रात तक चली बैठक में मुख्य रूप से पार्टी के संगठनात्मक चुनावों को पूरा करने पर चर्चा हुई। इस बैठक में आरएसएस की ओर से अरुण कुमार, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, और महासचिव (संगठन) बीएल संतोष समेत कुछ अन्य प्रमुख नेता मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक, इससे ठीक एक दिन पहले मंगलवार को भी जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच संगठनात्मक चुनावों को लेकर एक बैठक हुई थी। दोनों बैठकों में यह निर्णय लिया गया कि पितृपक्ष के बाद सोमवार से संगठनात्मक चुनावों की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। माना जा रहा है कि 25-26 सितंबर तक चार-पांच राज्यों के नए प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है।
इन राज्यों में होगी घोषणा
फिलहाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक, गुजरात और त्रिपुरा में भाजपा को नए प्रदेश अध्यक्ष मिलने हैं। इन राज्यों में पार्टी नेतृत्व को मजबूत करने और आगामी चुनावों के लिए रणनीति तैयार करने के मकसद से नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नवंबर के बाद
बैठक में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर भी चर्चा हुई, लेकिन इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया। इस मुद्दे को शीर्ष नेतृत्व के विवेक पर छोड़ दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव उसके बाद होने की अधिक संभावना है।
भाजपा में संगठनात्मक चुनाव एक नियमित प्रक्रिया है, लेकिन इस बार का timing महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पार्टी आगामी विधानसभा और अन्य चुनावों के लिए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे पाएगी। नए अध्यक्षों की नियुक्ति से इन राज्यों में पार्टी के कामकाज में नई ऊर्जा आने की उम्मीद है।

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