
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में हाल ही में किए गए सुधारों को ‘राष्ट्र का दिवाली उपहार’ बताया है। उन्होंने कहा कि इन सुधारों से 140 करोड़ लोगों को फायदा होगा। मदुरै में तमिलनाडु फूडग्रेन्स मर्चेंट्स एसोसिएशन के 80वें वार्षिकोत्सव में बोलते हुए, सीतारमण ने इन बदलावों के पीछे की सोच और इसके व्यापक प्रभाव को समझाया।
जीएसटी क्रांति और बढ़ी हुई पारदर्शिता
वित्त मंत्री ने एसोसिएशन को उसकी 80 साल की शानदार यात्रा के लिए बधाई दी और शक्ति मसाला और इधायम जिंजेली ऑयल जैसे स्थानीय व्यवसायों की सफलता की सराहना की। उन्होंने कहा कि जीएसटी ने देश की कर प्रणाली में एक क्रांति ला दी है।
उन्होंने बताया कि जीएसटी के तहत पंजीकृत व्यापारियों की संख्या 65 लाख से बढ़कर 1.51 करोड़ हो गई है, जो प्रणाली में पारदर्शिता और लोगों के विश्वास को दर्शाता है। यह व्यापारियों के लिए एक आसान और सुव्यवस्थित कर व्यवस्था का भी संकेत है।
टैक्स दरों में बड़ी कटौती
सीतारमण ने जीएसटी सुधारों के सबसे महत्वपूर्ण पहलू पर प्रकाश डाला, जो कि कर दरों में कटौती है। उन्होंने बताया कि 315 वस्तुओं पर टैक्स घटाकर उन्हें दो स्लैब में लाया गया है। उन्होंने कहा कि “दूध, पनीर और दही पर जीएसटी 5 प्रतिशत से घटाकर 0 प्रतिशत कर दिया गया है। 99 प्रतिशत वस्तुओं पर कर अब 5 प्रतिशत है।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कदम से लोगों के हाथों में अतिरिक्त 2 लाख करोड़ रुपये आए हैं, जिससे उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ी है। इसके अलावा, व्यापार में भी दस गुना वृद्धि दर्ज की गई है।
विपक्ष के आरोपों का जवाब: यह एक सामूहिक निर्णय है
जीएसटी दरों में कटौती के फैसले को लेकर विपक्ष के इस दावे पर कि यह सोशल मीडिया के दबाव में लिया गया, सीतारमण ने कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “यह गलत है कि हमने सोशल मीडिया दबाव में टैक्स कम किया। यह फैसला जीएसटी परिषद और सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों ने मिलकर लिया।”

उन्होंने साफ किया कि “मोदी सरकार और एनडीए को ऊंची दरें लागू कर कम करने का नाटक करने की जरूरत नहीं।” उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद नवरात्रि से पहले ही टैक्स कम करने का निर्देश दिया था, जो इस फैसले के पीछे की गंभीरता को दर्शाता है।
आर्थिक प्रगति और भविष्य की योजनाएं
वित्त मंत्री ने जीएसटी स्लैब को लेकर भविष्य की योजनाओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि अगर अर्थव्यवस्था में तेजी बनी रही, तो दोनों जीएसटी स्लैब को एक में मिलाया जा सकता है, जिससे कर प्रणाली और भी सरल हो जाएगी। उन्होंने उत्पादन प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की भी सराहना की, जिसने देश के निर्माताओं को प्रोत्साहित किया है।
मदुरै की ऐतिहासिक पहचान का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा कि शहर की औद्योगिक प्रगति को तिरुप्पुर और कोयंबटूर के साथ-साथ सेलम, रामनाथपुरम, विरुधुनगर और कुड्डालोर जैसे अन्य क्षेत्रों तक भी फैलना चाहिए।
अपने भाषण के अंत में, सीतारमण ने तमिलनाडु फूडग्रेन्स मर्चेंट्स एसोसिएशन के संस्थापक एस.पी. जयप्रकाशम और प्रोफेसर रामा श्रीनिवासन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि 1945 से यह संगठन भोजन की आवश्यकता को समझता रहा है और दिल्ली तक व्यापारियों की मांगें पहुंचाता रहा है, जो देश के लिए एक अनुकरणीय मॉडल है।

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