
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं को बड़ा तोहफा दिया है। राज्य सरकार ने “मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना” का दायरा बढ़ाने का ऐलान किया है। अब इंटर पास युवाओं के साथ-साथ कला, विज्ञान और वाणिज्य संकाय से स्नातक (ग्रेजुएट) उत्तीर्ण बेरोजगार युवक-युवतियों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा। इस फैसले को आगामी चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है, वहीं बड़ी संख्या में युवाओं ने इसे रोजगार की दिशा में अहम कदम बताया है।
सीएम नीतीश कुमार का सोशल मीडिया पर पोस्ट
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर इस योजना के विस्तार की जानकारी साझा की। उन्होंने लिखा–“नवंबर 2005 में नई सरकार बनने के बाद से ही अधिक से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार देना तथा उन्हें सशक्त और सक्षम बनाना हमारी प्राथमिकता रही है। अगले पांच साल में एक करोड़ युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे नौकरी या स्वरोजगार प्राप्त कर सकें।”
योजना का होगा विस्तार
अब तक यह योजना इंटर पास बेरोजगार युवाओं तक सीमित थी। लेकिन अब इसका लाभ स्नातक पास युवाओं को भी मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा—“राज्य सरकार के सात निश्चय कार्यक्रम के अंतर्गत पहले से संचालित मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना का विस्तार किया गया है। इसके तहत 20 से 25 वर्ष आयु वर्ग के वे युवक-युवतियां, जो स्नातक उत्तीर्ण हैं, लेकिन कहीं अध्ययनरत नहीं हैं, न ही सरकारी या निजी क्षेत्र में नियोजित हैं और न ही स्वरोजगार से जुड़े हैं, उन्हें 1,000 रुपये प्रतिमाह की दर से अधिकतम दो वर्षों तक सहायता दी जाएगी।”
नीतीश कुमार ने उम्मीद जताई कि इस सहायता का इस्तेमाल युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए करेंगे। उन्होंने कहा कि यह कदम युवाओं के भविष्य को सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा योगदान देगा।
रोजगार और आत्मनिर्भरता पर फोकस
मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि राज्य सरकार की इस पहल का मकसद युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर दिलाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने कहा–“हम चाहते हैं कि बिहार के शिक्षित युवा दक्ष और रोजगारोन्मुखी बनें। वे राज्य और देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। यह योजना सिर्फ आर्थिक मदद नहीं है, बल्कि युवाओं को सही दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास है।”
चुनावी सियासत से जोड़कर देखा जा रहा ऐलान
विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला विधानसभा चुनाव से पहले युवाओं को आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। बिहार में बेरोजगारी लंबे समय से एक बड़ा मुद्दा रही है। खासकर ग्रेजुएट पास युवाओं में रोजगार को लेकर असंतोष देखा जाता रहा है। ऐसे में सरकार का यह कदम युवाओं को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि नीतीश कुमार ने 2005 से लगातार “रोजगार” और “विकास” को अपने एजेंडे में रखा है। लेकिन विपक्ष अक्सर यह आरोप लगाता रहा है कि सरकार रोजगार सृजन में अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर पाई। अब देखना होगा कि यह नई घोषणा युवाओं के बीच कितना असर डाल पाती है।
युवाओं की प्रतिक्रिया
इस घोषणा के बाद राजधानी पटना और अन्य जिलों के युवाओं में खुशी देखी गई। पटना विश्वविद्यालय के एक छात्र ने कहा, “ग्रेजुएट होने के बाद नौकरी की तलाश में संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में सरकार की यह मदद हमें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होगी।” वहीं, दरभंगा की एक छात्रा ने कहा, “यह योजना हमारी आर्थिक चिंता कम करेगी और हम स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान दे पाएंगे।”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह फैसला न केवल युवाओं को तात्कालिक राहत देने वाला कदम है, बल्कि यह उनकी सरकार की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा भी साबित हो सकता है। “मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना” के विस्तार से लाखों स्नातक बेरोजगार युवाओं को सीधा लाभ मिलेगा। आने वाले महीनों में यह देखा जाएगा कि यह पहल वास्तव में युवाओं को रोजगार की मुख्यधारा से जोड़ने में कितनी कारगर साबित होती है और क्या यह नीतीश कुमार के विकास और सुशासन के एजेंडे को आगे बढ़ाने में सहायक होती है।

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