
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव से पहले पत्रकारों को बड़ी राहत दी है। उन्होंने ‘बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना’ के तहत पेंशन राशि को 6,000 से बढ़ाकर 15,000 रुपए प्रतिमाह करने की घोषणा की है। इस फैसले को जहां सरकार का चुनावी मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है, वहीं विपक्ष ने इस पर हमला बोलना शुरू कर दिया है।
राजद का आरोप: तेजस्वी की नकल कर रहे हैं नीतीश
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने मुख्यमंत्री की इस घोषणा को तेजस्वी यादव की योजनाओं की नकल करार दिया है। उन्होंने कहा कि- “नीतीश कुमार वही कर रहे हैं, जो तेजस्वी पहले ही बोल चुके हैं। जो भी घोषणा तेजस्वी करते हैं, नीतीश बाद में उसे दोहराते हैं।”
तिवारी ने इसे चुनावी लाभ के लिए दिया गया प्रलोभन बताया और दावा किया कि अब मुख्यमंत्री के पास जनता को प्रभावित करने के लिए कुछ नया नहीं बचा है।
सरकार के जल्द गिरने की भविष्यवाणी
मृत्युंजय तिवारी ने यह भी कहा कि–“नीतीश कुमार की सरकार अब अधिक दिनों की मेहमान नहीं है। आने वाले समय में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में नई सरकार बनेगी जो पत्रकारों को इससे भी अधिक पेंशन और सुविधाएं देगी।”
उन्होंने दावा किया कि पत्रकार भी यह समझ चुके हैं कि राज्य में सत्ता परिवर्तन होने वाला है और तेजस्वी ही पत्रकारों की सच्ची चिंता करते हैं।
नीतीश कुमार की 20 साल की नाकामी का आरोप
राजद प्रवक्ता ने कहा कि नीतीश कुमार ने पिछले 20 वर्षों में पत्रकारों के लिए कुछ नहीं किया। अब जब चुनाव करीब हैं तो वे सिर्फ दिखावा कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव के हर सुझाव को नीतीश कुमार बाद में दोहराते हैं, जो उनकी नेतृत्वहीनता और विचारशून्यता को दर्शाता है।
तेजस्वी की तारीफ में राजद का समर्थन
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव द्वारा अपने पुत्र तेजस्वी यादव की प्रशंसा पर मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि तेजस्वी ने न केवल बिहार बल्कि पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। बिहार की 14 करोड़ जनता उन्हें अपने भविष्य के रूप में देख रही है। लालू जी का बयान भी इसी जनभावना का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने तेजस्वी को युवा नेतृत्व का आदर्श चेहरा बताया।
राहुल गांधी पर पूछे गए सवाल को टाला
जब कांग्रेस नेता उदित राज द्वारा राहुल गांधी की तुलना डॉ. भीमराव अंबेडकर से किए जाने पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो मृत्युंजय तिवारी ने कहा–हमने ठीक से नहीं सुना कि उन्होंने क्या कहा है। इस जवाब से स्पष्ट है कि राजद इस मुद्दे पर खुलकर टिप्पणी करने से बच रही है।
नीतीश कुमार की पत्रकार पेंशन योजना को लेकर जहां पत्रकारों में राहत की भावना है, वहीं विपक्ष इसे तेजस्वी यादव की लोकप्रियता से डर का परिणाम बता रहा है। राजद के तेवर और बयानबाजी से साफ है कि बिहार में आगामी चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल गरमा चुका है, और हर घोषणा को अब सियासी चश्मे से देखा जाएगा।

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