
पवित्र कुरान की कसम खाकर खंडन करते CM उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो)
जम्मू-कश्मीर में बडगाम और नगरोटा सीटों पर होने वाले उपचुनावों को लेकर सियासी माहौल काफी गरमाया हुआ है। इन चुनावों से पहले, एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है, जिसने जम्मू-कश्मीर की राजनीति में सरगर्मी बढ़ा दी है। यह विवाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और भाजपा नेता सुनील शर्मा के बीच आरोपों और पलटवार का नतीजा है।
बडगाम और नगरोटा विधानसभा सीटों पर उपचुनावों के लिए चुनाव प्रचार रविवार शाम को ही समाप्त हो गया था। इन दोनों सीटों पर 11 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। ये राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ठीक चुनाव से पहले आए हैं, जिसने माहौल को और भी तीखा बना दिया है।

भाजपा नेता सुनील शर्मा का गंभीर आरोप
विवाद की शुरुआत भाजपा नेता और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा के एक बयान से हुई। उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर गंभीर आरोप लगाया कि उन्होंने 2024 में भाजपा के साथ गठबंधन करने का प्रयास किया था।
शर्मा ने आरोप लगाया कि उमर अब्दुल्ला 2024 में राज्य में सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन करने के लिए दिल्ली गए थे। उन्होंने रविवार को एक बयान जारी कर उमर अब्दुल्ला को चुनौती दी कि अगर उन्होंने वास्तव में गठबंधन की कोशिश नहीं की है, तो वह किसी भी मस्जिद या धार्मिक स्थल पर जाकर कसम खाकर देखें। शर्मा ने विशेष रूप से कहा, “कुरान की कसम खाओ कि तुमने 2024 में राज्य का दर्जा पाने के लिए भाजपा से गठबंधन करने की कोशिश नहीं की थी।”

उमर अब्दुल्ला का कुरान की कसम खाकर पलटवार
विपक्ष के नेता के इन आरोपों पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तुरंत और सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पवित्र कुरान की कसम खाकर अपने बचाव में बयान दिया।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, “मैं पवित्र कुरान की कसम खाता हूं कि मैंने 2024 में राज्य का दर्जा पाने या किसी अन्य कारण से भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करने की कोशिश की।” यह कसम खाना इस बात को दर्शाता है कि मुख्यमंत्री इस आरोप को कितना गंभीर ले रहे हैं और वह अपनी राजनीतिक ईमानदारी को लेकर किसी भी तरह के संदेह को दूर करना चाहते हैं।
राजनीतिक विश्वसनीयता और शुचिता का सवाल
उमर अब्दुल्ला और सुनील शर्मा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का यह दौर जम्मू-कश्मीर की राजनीति में विश्वसनीयता और शुचिता के सवाल को भी उठाता है। एक तरफ जहां भाजपा नेता गठबंधन की कोशिश का आरोप लगा रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री सबसे पवित्र कसम खाकर इन आरोपों को झूठा साबित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह घटनाक्रम न केवल दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत टकराव को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि उपचुनाव से पहले दोनों दल किस तरह से एक-दूसरे पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
उपचुनाव और सीटों का विवरण
यह पूरा विवाद ऐसे समय में आया है जब दो महत्वपूर्ण सीटों पर उपचुनाव होने हैं: बडगाम और नगरोटा। बडगाम सीट पर उपचुनाव इसलिए हो रहा है क्योंकि उमर अब्दुल्ला ने 2024 के विधानसभा चुनावों में यह सीट गंदेरबल के साथ जीती थी, लेकिन बाद में उन्होंने बडगाम सीट से इस्तीफा दे दिया था।
वहीं, नगरोटा विधानसभा सीट रिक्त हो गई क्योंकि इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा विधायक देवेंद्र सिंह राणा का 31 अक्टूबर, 2024 को निधन हो गया। इन उपचुनावों के नतीजे जम्मू-कश्मीर की आने वाली राजनीति की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

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