
बिहार में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में अब विपक्षी ‘इंडिया’ ब्लॉक के बड़े नेता भी शामिल होंगे। यात्रा को मजबूत करने के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और डीएमके की संसदीय दल की नेता कनिमोझी करुणानिधि 27 अगस्त को इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ नजर आ सकते हैं। यह कदम ‘इंडिया’ ब्लॉक की एकजुटता को और भी मजबूत करेगा।
यात्रा का मकसद: ‘वोट चोरी’ का विरोध
राहुल गांधी ने यह यात्रा बिहार के सासाराम से शुरू की थी। इसका मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं और ‘वोट चोरी’ के प्रयासों का विरोध करना है। राहुल गांधी का दावा है कि इस प्रक्रिया के जरिए भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर विपक्ष के वोटों को हटाने का काम कर रहे हैं।
यात्रा के दौरान राहुल गांधी लगातार लोगों से संवाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह लोगों के संवैधानिक अधिकारों को छीनने नहीं देंगे। यात्रा में उनके साथ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव भी लगातार बने हुए हैं।
बाइक पर दिखे राहुल, जनता में उत्साह
पूर्णिया में अपनी यात्रा के आठवें दिन राहुल गांधी ने खुद बाइक चलाकर जनता का उत्साह बढ़ाया। यह यात्रा खुश्कीबाग से होते हुए लाइन बाजार, पंचमुखी मंदिर, रामबाग और सिटी इलाके से गुजरी, जिसके बाद यह कसबा और अररिया तक पहुंची। सड़कों पर उमड़ी भीड़ और जनता का उत्साह कांग्रेस के दावे को मजबूत कर रहा है कि यह यात्रा जनता से सीधा जुड़ रही है।

‘भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर काम कर रहे’
यात्रा के दौरान मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी ने फिर से ‘वोट चोरी’ का आरोप दोहराया। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान वह हजारों ऐसे लोगों से मिले हैं जिनके नाम एसआईआर प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। उन्होंने कहा, “ज्यादातर लोग गरीब, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, किसान और मजदूर हैं। यह बिल्कुल साफ है कि चुनाव आयोग और भाजपा मिलकर विपक्ष के वोट मिटा रहे हैं।”
राहुल गांधी की यह ‘वोटर अधिकार यात्रा’ 17 अगस्त को बिहार के सासाराम से शुरू हुई थी। ‘इंडिया’ ब्लॉक में शामिल राजद के नेता तेजस्वी यादव सहित अन्य घटक दलों के नेता भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं। 16 दिनों की यह यात्रा लगभग 20 जिलों से होकर गुजरेगी और 1,300 किलोमीटर का सफर तय करेगी। यात्रा का समापन 1 सितंबर को पटना में एक बड़ी रैली के साथ होगा।
इस यात्रा में स्टालिन और कनिमोझी का शामिल होना यह दिखाता है कि विपक्षी गठबंधन केवल कागजों पर नहीं, बल्कि जमीन पर भी अपनी एकजुटता दिखाना चाहता है। यह भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है, क्योंकि विपक्ष अब राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होकर एक ही मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है।

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