
मंगलवार को संसद के दोनों सदन, लोकसभा और राज्यसभा, में विपक्ष के जोरदार हंगामे के कारण कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल सकी। विपक्षी दल मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया में कथित गड़बड़ियों और ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर तुरंत चर्चा की मांग कर रहे थे। दोनों सदनों में गतिरोध इतना बढ़ गया कि अध्यक्षों को कार्यवाही को कई बार स्थगित करना पड़ा।
राज्यसभा में कार्यवाही शुरू होते ही उपसभापति हरिवंश नारायण ने सदन को सूचित किया कि उन्हें विपक्षी सांसदों से चार अलग-अलग विषयों पर चर्चा के लिए 20 नोटिस मिले हैं, जो नियम 267 के तहत दिए गए हैं। हालांकि, उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए इन सभी नोटिसों को अस्वीकार कर दिया। उपसभापति ने बताया कि कोई भी नोटिस नियमानुसार नहीं था।
उपसभापति के इस निर्णय के बाद विपक्षी सांसद भड़क गए। वे अपनी सीटों से उठकर आगे आ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। सदन में हंगामा बढ़ता देख उपसभापति ने सांसदों से शून्यकाल और प्रश्नकाल चलने देने का अनुरोध किया, लेकिन विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा। स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ, उपसभापति ने सदन की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

उधर, लोकसभा में भी स्थिति कुछ अलग नहीं थी। कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे प्रश्नकाल बाधित हुआ। पीठासीन अधिकारी कृष्णा प्रसाद तन्नेटी ने बताया कि कुछ सांसदों ने स्थगन प्रस्ताव दिया था, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने अस्वीकार कर दिया है। इसके बावजूद विपक्ष का हंगामा जारी रहा, जिसके कारण लोकसभा की कार्यवाही को पहले 12 बजे तक और फिर 12 बजे दोबारा शुरू होने पर दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
विपक्ष का यह विरोध प्रदर्शन मतदाता सूची की अखंडता पर अपनी गहरी चिंता को दर्शाता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव सहित कई विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि एसआईआर प्रक्रिया का उपयोग कर जानबूझकर मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, जो कि लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। विपक्ष का कहना है कि यह ‘वोट चोरी’ है और इस पर तुरंत संसद में चर्चा होनी चाहिए।
सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए इसे एक राजनीतिक स्टंट बताया है। सरकार का तर्क है कि मतदाता सूची में सुधार एक नियमित प्रक्रिया है और इसमें किसी भी तरह की धांधली नहीं हो रही है। हालांकि, विपक्ष इन स्पष्टीकरणों से संतुष्ट नहीं है और वह इस मुद्दे को संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह जोर-शोर से उठा रहा है। मंगलवार का हंगामा इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में भी संसद में यह गतिरोध जारी रह सकता है।

गांव से लेकर देश की राजनीतिक खबरों को हम अलग तरीके से पेश करते हैं। इसमें छोटी बड़ी जानकारी के साथ साथ नेतागिरि के कई स्तर कवर करने की कोशिश की जा रही है। प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक की राजनीतिक खबरें पेश करने की एक अलग तरह की कोशिश है।



