
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्षी दलों ने तीखा हमला बोला है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस विधेयक को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुरदीप सिंह सप्पल और सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने भाजपा पर अनैतिक तरीके से सत्ता हथियाने और संवैधानिक मूल्यों को कमजोर करने का आरोप लगाया है।
‘भाजपा का एकमात्र लक्ष्य सत्ता हथियाना’
कांग्रेस नेता गुरदीप सिंह सप्पल ने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 10-11 वर्षों में पार्टी ने कई राज्यों में सत्ता हासिल करने के लिए अनैतिक तरीके अपनाए हैं। उन्होंने महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, उत्तराखंड, मिजोरम और मेघालय का उदाहरण देते हुए कहा, “भाजपा ने कितने राज्यों में विधायकों को खरीदा है? वे किसी भी तरह से सत्ता को हथियाना चाहते हैं।” सप्पल ने आरोप लगाया कि इसके लिए भाजपा कांस्टेबलों तक को झूठे मामले बनाने और गिरफ्तारियां करने की जिम्मेदारी सौंपती है, जो कि लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है।
‘संविधान संशोधन विधेयक लोकतंत्र को कमजोर करने वाला’
संविधान संशोधन विधेयक को लेकर विपक्ष का विरोध और भी मुखर हो गया है। इस विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में शामिल होने से टीएमसी और सपा ने इनकार कर दिया है। सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि यह विधेयक लोकतंत्र को कमजोर करने वाला है और संवैधानिक मूल्यों तथा लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कुछ वर्षों में लोगों की आवाज को दबाया गया है और देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों और गरीबों के अधिकार छीने जा रहे हैं, जिससे ऐसी आशंकाएं पैदा हो रही हैं।
नदवी ने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र का मतलब 26 जनवरी 1950 को अपनाए गए संविधान को लागू करना है, जो सभी को समान अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सबसे बड़ा फैसला लोकतंत्र को बनाए रखना था। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत सभी धर्मों और समुदायों को समान अधिकार मिले हैं, और इन्हें लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है।
असम में बेदखली पर भी सवाल
मोहिबुल्लाह नदवी ने असम में चल रहे बेदखली अभियान पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार का काम असहाय लोगों को बसाना और उनकी मदद करना है, न कि उन्हें उजाड़ना। उन्होंने सरकार के नैतिक कर्तव्य को याद दिलाते हुए कहा कि चाहे लोग साठ-सत्तर साल से नागरिकता से वंचित हों या उनकी जमीन का दाखिल-खारिज न हुआ हो, सरकार का कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों को सुविधाएं प्रदान करे। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को सरकार की प्राथमिकता बताया।
विपक्षी दलों का यह संयुक्त हमला दर्शाता है कि वे सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई को तेज कर रहे हैं और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा को अपना प्रमुख मुद्दा बना रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन आरोपों का क्या जवाब देती है और क्या यह विधेयक संसद में पारित हो पाएगा।

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