
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के पहले चरण को लेकर पूर्णिया से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सोमवार को मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने इस प्रक्रिया को लोकतंत्र के लिए सीधा खतरा करार दिया। उनका आरोप है कि चुनाव आयोग ने जल्दबाजी में 22 लाख मृत वोटरों सहित 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू की, जो संदिग्ध है।
पप्पू यादव ने सवाल उठाया कि जब छह महीने पहले तक चुनाव आयोग के पास मृतकों की कोई सटीक जानकारी नहीं थी, तो अब इतनी बड़ी संख्या में मृत वोटरों की पहचान कैसे हुई? उन्होंने कहा, “दाल में कुछ काला नहीं, दाल ही पूरी काली है।”
बीएलओ की भूमिका पर भी सवाल
पप्पू यादव ने एसआईआर प्रक्रिया में बूथ लेवल ऑफिसरों (बीएलओ) की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि बाढ़ प्रभावित और पलायन करने वाले इलाकों में बीएलओ ने मतदाताओं से संपर्क ही नहीं किया और बिना सत्यापन के फॉर्म भर दिए गए।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 92 प्रतिशत मतदाताओं की ओर से जमा किए गए फॉर्मों के हस्ताक्षरों की जांच होनी चाहिए, क्योंकि कई जगहों से ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि मतदाताओं को बिना उनकी जानकारी के हटाया गया।
सुप्रीम कोर्ट से है उम्मीद
पप्पू यादव ने बताया कि 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी है और यह लोकतंत्र को बचाने का आखिरी मौका हो सकता है। उन्होंने जनता और सभी लोकतंत्र समर्थकों से अपील की कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और पारदर्शिता की मांग करें।
बीजेपी पर ‘पिछले दरवाजे से सेटिंग’ का आरोप
एसआईआर की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए पप्पू यादव ने इशारों-इशारों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भी निशाना साधा। उनका दावा है कि यह पूरी कवायद भाजपा के राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं और जांच आवश्यक है।

ऑपरेशन सिंदूर पर भी तीखा हमला
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर संसद में होने वाली चर्चा को लेकर भी पप्पू यादव ने केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सेना पर देश को गर्व है, लेकिन सरकार को सेना की उपलब्धियों को राजनीतिक लाभ के लिए भुनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और विपक्ष की इस मांग का समर्थन किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर संसद में व्यक्तिगत रूप से जवाब देना चाहिए।
तेज प्रताप के चुनाव लड़ने पर पप्पू का बयान
तेज प्रताप यादव के निर्दलीय चुनाव लड़ने के ऐलान पर पप्पू यादव ने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत फैसला है। उन्होंने कहा, “मैं न तेज प्रताप का प्रवक्ता हूं और न ही उनसे जुड़ा हूं। हर व्यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार है।”
हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा का विरोध करने वाली ताकतें इंडिया ब्लॉक के साथ हैं। तेज प्रताप को भावनात्मक समर्थन जरूर मिल सकता है, लेकिन इससे कोई बड़ा राजनीतिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
पप्पू यादव के आरोपों ने बिहार की चुनावी राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है। मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया की पारदर्शिता, चुनाव आयोग की निष्पक्षता, और सरकार की मंशा अब सवालों के घेरे में है। 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई इस मुद्दे पर निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।

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