
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत राशि वितरण में एक बड़ी अनियमितता सामने आई है, जिसने विभागीय लापरवाही को उजागर कर दिया है। पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के बांगो चर्रा पंचायत में एक ही लाभार्थी के खाते में दो बार योजना की राशि जमा हो गई, जिससे एक अन्य पात्र लाभार्थी लाभ से वंचित रह गया।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, बांगो चर्रा पंचायत में इंद्रपाल नाम के दो अलग-अलग लाभार्थी थे, जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए राशि स्वीकृत की गई थी। हालांकि, विभागीय गलती के कारण दोनों की राशि इंद्रपाल अगरिया की पत्नी विनीता अगरिया के बैंक खाते में भेज दी गई। विनीता ने यह समझा कि उन्हें और उनके पति दोनों को योजना का लाभ मिला है और उन्होंने दोनों राशियों का उपयोग कर घर का निर्माण भी शुरू कर दिया।
दूसरी ओर, एक अन्य पात्र लाभार्थी इंद्रपाल कवर को इस गड़बड़ी का पता तब चला जब बैंक और जियो-टैगिंग की जांच की गई। जब उनके खाते में राशि नहीं पहुंची, तो उन्हें सच्चाई का पता चला। इस स्थिति में, उन्होंने निजी कर्ज लेकर अपने घर का निर्माण शुरू किया, लेकिन सरकारी योजना का लाभ उन्हें अब तक नहीं मिल पाया है।
प्रशासन ने दिया राशि लौटाने का नोटिस
मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने तुरंत हस्तक्षेप किया। प्रशासन ने विनीता अगरिया को नोटिस जारी कर अतिरिक्त राशि वापस करने को कहा। हालांकि, इस बीच सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैल गई कि पंचायत के सीईओ जयप्रकाश डडसेना ने विनीता पर जमीन बेचकर पैसे लौटाने का दबाव बनाया है। सीईओ ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
सीईओ डडसेना ने बताया, “विभाग की ओर से इस मामले में लापरवाही हुई है, जिसकी जांच की जा रही है। इंद्रपाल नाम के दो लाभार्थी थे, लेकिन गलती से एक ही लाभार्थी, यानी पति और पत्नी दोनों के नाम की राशि एक ही खाते में चली गई। हमने लाभार्थी से राशि वापस करने को कहा है, लेकिन उन पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया गया है।”
स्थानीय सरपंच ने भी की पुष्टि
ग्राम पंचायत के सरपंच सुरेंद्र कवर ने भी इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि महिला लाभार्थी ने प्रशासन पर जो दबाव बनाने का आरोप लगाया है, वह गलत है। उन्होंने कहा, “हमारी तरफ से महिला लाभार्थी को समझाया गया है कि उन्हें एक लाभार्थी की राशि वापस करनी होगी।”
यह घटना सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में मौजूद कमियों को उजागर करती है। अधिकारियों की एक छोटी सी गलती के कारण एक पात्र लाभार्थी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। इस मामले में, यह साफ है कि विभाग को अपने डेटा प्रबंधन और वितरण प्रणाली को और अधिक पुख्ता बनाने की जरूरत है।

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