
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार के चयन की प्रक्रिया को अंतिम चरण में पहुंचा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मंगलवार को औपचारिक रूप से एनडीए के उम्मीदवार का नाम तय करेंगे। इस घोषणा के साथ ही उपराष्ट्रपति चुनाव की राजनीतिक सरगर्मियां और तेज हो गई हैं।
एनडीए नेताओं की एक उच्च स्तरीय बैठक गुरुवार को नई दिल्ली में आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष नड्डा को उम्मीदवार चुनने का अधिकार सौंपा गया। बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष द्वारा चुने गए नाम को एनडीए के सभी सहयोगी दलों का सर्वसम्मत समर्थन मिलेगा।
विपक्ष को कड़ा संदेश
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, शिवसेना के सांसद श्रीकांत शिंदे, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान, तेलुगु देशम पार्टी के सांसद लवू कृष्ण देवरायलु और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के प्रमुख रामदास अठावले भी शामिल हुए। शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को ही भाजपा उम्मीदवार को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा कर दी थी। यह कदम एनडीए के भीतर मजबूत एकजुटता का संकेत माना जा रहा है।

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से खाली हुआ पद
उपराष्ट्रपति पद पर वर्तमान में कार्यरत जगदीप धनखड़ ने हाल ही में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए बीच कार्यकाल में ही इस्तीफा दे दिया। हालांकि, उनके इस्तीफे के पीछे सरकार और धनखड़ के बीच मतभेद की अटकलें भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। धनखड़ के इस्तीफे के बाद निर्वाचन आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू की।
नामांकन और चुनाव की तारीखें तय
निर्वाचन कार्यक्रम के अनुसार उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है। इसके बाद 9 सितंबर को मतदान होगा। इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित एवं नामित सदस्य शामिल होते हैं। संसद में एनडीए के स्पष्ट बहुमत को देखते हुए गठबंधन के उम्मीदवार की जीत लगभग तय मानी जा रही है।
राजनीतिक महत्व का पद
भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है। इस कारण यह पद सिर्फ संवैधानिक औपचारिकता नहीं, बल्कि संसदीय कार्यवाही के संचालन में भी अहम भूमिका निभाता है। विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच संवाद और संतुलन बनाए रखने में उपराष्ट्रपति की सक्रियता का विशेष महत्व होता है।
एनडीए के उम्मीदवार के नाम को लेकर राजनीतिक हलकों में अटकलें जारी हैं। भाजपा और उसके सहयोगी दलों की ओर से मंगलवार को होने वाली घोषणा का सभी दल बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि यह नाम न केवल आगामी चुनाव का परिणाम तय करेगा बल्कि आने वाले वर्षों में राज्यसभा की कार्यप्रणाली पर भी असर डालेगा।

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