
भारतीय राजनीति के शिखर पर आसीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को अपने वैचारिक जनक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं और कार्यकर्ताओं तक ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके सिद्धांतों, विशेष रूप से ‘एकात्म मानववाद’ और ‘अंत्योदय’ को, ‘विकसित भारत’ के निर्माण का आधार बताया। यह एक ऐसा दिन था जब पूरे देश में भाजपा के नेता दीनदयाल उपाध्याय की विरासत को याद करते हुए, उनके दर्शन को वर्तमान नीतियों और योजनाओं का केंद्र बिंदु बता रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक वीडियो साझा कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय को भारत का एक महान सपूत कहा। उन्होंने लिखा, “भारत माता के महान सपूत और एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जयंती पर कोटिश: नमन।” पीएम मोदी ने यह भी कहा कि उनके राष्ट्रवादी विचार और अंत्योदय के सिद्धांत विकसित भारत के निर्माण में बहुत काम आने वाले हैं। यह टिप्पणी इस बात को रेखांकित करती है कि प्रधानमंत्री दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा को केवल एक ऐतिहासिक संदर्भ में नहीं देखते, बल्कि इसे एक गतिशील और प्रासंगिक दर्शन मानते हैं जो भारत के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
‘अंत्योदय’ और ‘एकात्म मानववाद’: भाजपा की वैचारिक धुरी
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा को भाजपा की आत्मा माना जाता है। उनके ‘एकात्म मानववाद’ का दर्शन व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को एक समग्र इकाई के रूप में देखता है, जहां नैतिक और सांस्कृतिक उत्थान को आर्थिक प्रगति से अलग नहीं किया जा सकता। इसी दर्शन को आधार मानते हुए, भाजपा ने ‘अंत्योदय’ को अपनी नीतियों का केंद्रीय सिद्धांत बनाया है। इसका अर्थ है ‘समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति का उदय’, यानी विकास की योजनाओं का लाभ सबसे पहले उन लोगों तक पहुँचे जो सबसे गरीब और वंचित हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी श्रद्धांजलि में इसी बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “दीनदयाल ने एकात्म मानव दर्शन के माध्यम से व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को एक समग्र इकाई मानकर आर्थिक प्रगति के साथ नैतिक व सांस्कृतिक उत्थान पर भी बल दिया।” शाह ने दीनदयाल के सिद्धांतों को हर राष्ट्रप्रेमी के लिए प्रेरणादायक बताया। इसी तरह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव का दर्शन और अंत्योदय के विचार देश को आत्मनिर्भर, समावेशी और सशक्त बनाने की प्रेरणा हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी इस बात को दोहराते हुए कहा कि दीनदयाल उपाध्याय की सोच ने हमें सिखाया कि विकास का असली अर्थ अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक सुविधाएं सुनिश्चित करना है।

जमीनी स्तर पर भी गूंज रही उपाध्याय की विरासत
यह वैचारिक गूंज केवल केंद्रीय नेतृत्व तक ही सीमित नहीं थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी श्रद्धांजलि में दीनदयाल के सिद्धांतों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उनका ‘अंत्योदय दर्शन’ आज भी वंचितों के उत्थान हेतु पथ-प्रदर्शक है और ‘एकात्म मानववाद’ भारत की सांस्कृतिक आत्मा को आधुनिक युग की आवश्यकताओं से जोड़ने वाला शाश्वत मार्ग है। योगी ने यह भी कहा कि उनके आदर्शों से प्रेरित होकर वे समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास और न्याय की रोशनी पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, मंत्री आशीष सूद, सांसद प्रवेश वर्मा और मनोज तिवारी सहित कई अन्य नेताओं ने भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “पंडित दीनदयाल उपाध्याय का ‘एकात्म मानवतावाद’ भारतीय जीवनशैली और आर्थिक व्यवस्था का मूल आधार है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ नहीं पहुंचता, तब तक वास्तविक विकास संभव नहीं है।
सांसद मनोज तिवारी ने तो यहां तक कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दिखाए रास्ते पर चलकर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दुनिया के सबसे मजबूत नेताओं में शुमार हो गए हैं। यह टिप्पणी इस बात का संकेत है कि पार्टी के नेता अपने सबसे सफल प्रधानमंत्री की सफलता का श्रेय भी दीनदयाल की वैचारिक विरासत को दे रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी इस बात पर जोर दिया कि दीनदयाल उपाध्याय ने भारतीय समाज, अर्थव्यवस्था, शिक्षा और शासन व्यवस्था की स्पष्ट दिशा दिखाई। उन्होंने कहा कि उनकी दूरदर्शी सोच के कारण ही आज देश में नरेंद्र मोदी जैसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं, जो उन्हीं सिद्धांतों के आधार पर जनकल्याणकारी नीतियां लागू कर रहे हैं। भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया और कमलजीत सेहरावत ने भी दीनदयाल उपाध्याय को याद करते हुए उनके आदर्शों का अनुसरण करने की बात कही। सेहरावत ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय केवल राजनीतिक नेता ही नहीं, बल्कि सामाजिक विचारक और शिक्षाविद भी थे, जिनकी विचारधारा आज भी भाजपा को नई ऊर्जा और प्रेरणा देती है।
विरासत का राजनीतिक और सामाजिक महत्व
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती का यह व्यापक स्मरण केवल एक श्रद्धांजलि समारोह नहीं है। यह भाजपा द्वारा अपनी वैचारिक जड़ों को मजबूती से पकड़ने और जनता के बीच उन्हें फिर से स्थापित करने का एक प्रयास भी है। जब पार्टी लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में है, तब वह अपनी नीतियों को ‘अंत्योदय’ जैसे सिद्धांतों से जोड़कर यह संदेश देना चाहती है कि उसका विकास मॉडल केवल आर्थिक प्रगति पर आधारित नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और सांस्कृतिक उत्थान पर भी केंद्रित है।

यह एक ऐसा राजनीतिक संदेश है जो पार्टी को उसके प्रतिद्वंद्वियों से अलग करता है। जहां अन्य पार्टियां अक्सर सामाजिक न्याय को जातिगत या पहचान की राजनीति से जोड़कर देखती हैं, वहीं भाजपा उसे ‘अंत्योदय’ के माध्यम से एक व्यापक राष्ट्रीय एजेंडे के रूप में पेश करती है। यह गरीबों, वंचितों और अंतिम पंक्ति के लोगों को एक समावेशी राष्ट्र निर्माण के भागीदार के रूप में देखता है, न कि केवल एक वोट बैंक के रूप में।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि जब भारत ‘विकसित भारत’ बनने का सपना देख रहा है, तो दीनदयाल के राष्ट्रवादी विचारों को बार-बार याद किया जा रहा है। यह दर्शाता है कि भाजपा के लिए राष्ट्रवाद केवल एक भावनात्मक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह विकास का एक अनिवार्य घटक भी है।
कुल मिलाकर, पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती एक राजनीतिक खबर से कहीं बढ़कर है। यह भाजपा के लिए अपनी विचारधारा को फिर से परिभाषित करने, अपने नेताओं को प्रेरित करने और जनता को यह समझाने का एक अवसर था कि उनके ‘अंत्योदय’ और ‘एकात्म मानववाद’ के सिद्धांत ही वह मार्ग हैं जो भारत को प्रगति और समृद्धि की ओर ले जाएगा। यह एक ऐसी वैचारिक विरासत है, जिसकी प्रासंगिकता समय के साथ कम होने के बजाय और भी बढ़ती जा रही है।

गांव से लेकर देश की राजनीतिक खबरों को हम अलग तरीके से पेश करते हैं। इसमें छोटी बड़ी जानकारी के साथ साथ नेतागिरि के कई स्तर कवर करने की कोशिश की जा रही है। प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक की राजनीतिक खबरें पेश करने की एक अलग तरह की कोशिश है।



