
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत की 75 साल की उम्र के बाद पद छोड़ने की कथित टिप्पणी ने सियासी गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है। कांग्रेस ने इस टिप्पणी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अप्रत्यक्ष कटाक्ष मानते हुए तीखा हमला बोला है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने इसे प्रधानमंत्री के लिए ‘घर वापसी’ की याद दिलाने वाला क्षण करार दिया।
कांग्रेस का इशारा साफ है कि 2025 में प्रधानमंत्री मोदी भी 75 साल के हो जाएंगे और इस उम्र सीमा पर पार्टी के भीतर भी बार-बार चर्चा होती रही है। ऐसे में भागवत का नागपुर में दिया गया बयान राजनीतिक गलियारों में कई अर्थों में देखा जा रहा है।
‘एक तीर, दो निशाने’ का तंज
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी को ‘अवार्ड-जीवी’ करार देते हुए तंज कसा कि विदेशी दौरों से लौटते ही उन्हें सरसंघचालक ने याद दिला दिया कि वे भी जल्द 75 के हो जाएंगे। रमेश ने लिखा, “बेचारे अवार्ड-जीवी प्रधानमंत्री! कैसी घर वापसी है यह? लौटते ही सरसंघचालक ने याद दिला दिया कि 17 सितंबर 2025 को वह 75 साल के हो जाएंगे।”
रमेश यहीं नहीं रुके। उन्होंने मोहन भागवत को भी कटाक्ष में घेरते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री भी भागवत को याद दिला सकते हैं कि 11 सितंबर 2025 को वे स्वयं भी 75 वर्ष के पड़ाव पर पहुंच जाएंगे। इस टिप्पणी को रमेश ने ‘एक तीर, दो निशाने’ बताते हुए अपनी बात को और स्पष्ट कर दिया।
बीजेपी के भीतर उम्र की मर्यादा पर चर्चाएं पुरानी
भारतीय जनता पार्टी के भीतर वरिष्ठ नेताओं के लिए 75 साल की उम्र सीमा को लेकर पहले से ही अघोषित नियम की चर्चा होती रही है। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज नेता इस ‘मर्यादा रेखा’ का उदाहरण माने जाते हैं। ऐसे में आरएसएस प्रमुख का यह बयान भाजपा नेतृत्व के भीतर नए सिरे से सवाल खड़े कर सकता है कि क्या यह सिद्धांत प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा?
भागवत का बयान या संकेत?
नागपुर में भागवत ने संघ विचारक मोरोपंत पिंगले के हवाले से कहा कि जब कोई 75 साल का होता है और उसके कंधों पर शॉल डाली जाती है, तो इसका मतलब होता है कि अब वह कार्य से अलग हटकर दूसरों को अवसर दे। इस बयान को संघ की परंपरागत कार्य पद्धति से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन इसके सियासी निहितार्थ को लेकर अटकलें तेज हैं।
कांग्रेस इसे प्रधानमंत्री के लिए एक अप्रत्यक्ष संदेश मान रही है, जबकि भाजपा खेमे में फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। आने वाले समय में इस बयान का असर भाजपा के अंदरूनी समीकरणों और 2024 के बाद के नेतृत्व को लेकर चर्चाओं पर कितना पड़ता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

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