
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने प्रदेश सरकार के चर्चित अभियान ‘ऑपरेशन कालनेमि’ पर सवाल खड़े किए हैं। रावत ने भाजपा को कालनेमि बताते हुए कहा कि जिस प्रकार हनुमान ने कालनेमि का वध किया था, उसी तरह राज्य की जनता आगामी चुनावों में वोट के जरिए भाजपा को करारा जवाब देगी।
“भाजपा स्वयं है कालनेमि” – हरीश रावत
बुधवार को मीडिया से बातचीत में हरीश रावत ने कहा, “जनता खुद कह रही है कि भाजपा एक बहुत बड़ी कालनेमि है, जिससे उन्हें सावधान रहना है। अब समय आ गया है कि भाजपा को जनता के वोट की ताकत से सबक सिखाया जाए।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह अभियान धार्मिक भावनाओं और सामाजिक सद्भाव को प्रभावित करने के लिए चलाया जा रहा है।
‘ऑपरेशन कालनेमि’ की शुरुआत
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखंड पुलिस ने ‘ऑपरेशन कालनेमि’ की शुरुआत की थी। इस अभियान का उद्देश्य ढोंगी बाबाओं, फर्जी साधु-संतों और ठगी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करना है। अभियान के तहत अब तक 300 से अधिक फर्जी साधुओं की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
कांवड़ यात्रा की सुरक्षा के लिए विशेष प्रयास
मुख्यमंत्री धामी ने हाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि कुछ तत्वों ने कांवड़ यात्रा को बदनाम करने की कोशिश की थी, लेकिन प्रशासन की मुस्तैदी और ‘ऑपरेशन कालनेमि’ की मदद से स्थिति को तुरंत नियंत्रण में लिया गया। उन्होंने कहा कि धार्मिक आयोजनों की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह अभियान और अधिक सघनता से जारी रहेगा। इसके लिए अतिरिक्त दिशानिर्देशों पर भी विचार किया जा रहा है।
कांग्रेस ने फिर उठाए पुराने सवाल
यह पहली बार नहीं है जब हरीश रावत ने ‘ऑपरेशन कालनेमि’ पर आपत्ति जताई है। इससे पहले 11 जुलाई को भी उन्होंने अभियान की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि फर्जी साधुओं पर कार्रवाई तो जरूरी है, लेकिन उन लोगों को भी दंडित किया जाना चाहिए जो ऐसे तत्वों को संरक्षण या न्योता देते हैं।
‘ऑपरेशन कालनेमि’ को लेकर उत्तराखंड में सियासी घमासान तेज हो गया है। भाजपा इसे धार्मिक स्थलों की पवित्रता की रक्षा का प्रयास बता रही है, जबकि कांग्रेस इसे राजनीतिक नौटंकी और ध्यान भटकाने का हथकंडा मान रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा उत्तराखंड की राजनीति में और अधिक गर्मी ला सकता है।

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