
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया। एक प्रेस वार्ता में उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से 25 लाख रुपये रिश्वत लेकर दिल्ली के द्वारका में पत्नी के नाम फ्लैट खरीदा। साथ ही, उन्होंने स्वास्थ्य विभाग में एंबुलेंस खरीद में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाया।
प्रशांत किशोर ने दावा किया कि अगस्त 2019 में दिलीप जायसवाल के बैंक खाते से 25 लाख रुपये स्वास्थ्य मंत्री के पिता अवधेश पांडेय के खाते में ट्रांसफर किए गए। करीब 10 दिन बाद यह रकम मंत्री की पत्नी उर्मिला पांडेय के खाते में भेजी गई, और इन्हीं पैसों का इस्तेमाल द्वारका स्थित 86 लाख रुपये के फ्लैट की खरीद में हुआ। उन्होंने कहा, “अगर यह रकम मित्रता के नाते ऋण के रूप में ली गई होती, तो 2020 में मंत्री के हलफनामे में इसका उल्लेख होता। लेकिन सच्चाई यह है कि यह सीधे-सीधे रिश्वत थी, जिसके बदले जायसवाल के किशनगंज मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया।”
कोरोना काल में फ्लैट खरीद पर सवाल
पीके ने कहा कि जब कोरोना काल में बिहार के लोग ऑक्सीजन और दवाओं के लिए तड़प रहे थे, तब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री दिल्ली में अपनी संपत्ति बढ़ाने में लगे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि फ्लैट के निबंधन में खुद दिलीप जायसवाल गवाह बने, जो इस लेन-देन की पुष्टि करता है।
एंबुलेंस खरीद में भारी अनियमितता
प्रशांत किशोर ने एंबुलेंस खरीद में भी घोटाले का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि फरवरी 2022 में बिहार सरकार ने 200 करोड़ रुपये से 1250 एंबुलेंस खरीदने का टेंडर जारी किया। उस समय टाइप-सी एंबुलेंस की कीमत 19.58 लाख रुपये थी, लेकिन अप्रैल 2025 में इन्हीं एंबुलेंस को 28.47 लाख रुपये में खरीदा गया।
उन्होंने कहा, “तकनीकी कारणों का हवाला देकर टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया, ताकि महंगे दामों पर खरीद की जा सके।”
राहुल गांधी के आरोपों का समर्थन
प्रशांत किशोर ने कर्नाटक में राहुल गांधी द्वारा उठाए गए ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि माधवपुरा विधानसभा क्षेत्र में डेढ़ लाख फर्जी वोटर जोड़े जाने का आरोप गंभीर है और चुनाव आयोग को इसकी तत्काल जांच करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “यह केवल कर्नाटक का मामला नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की साख से जुड़ा प्रश्न है। अगर वोटर लिस्ट में हेराफेरी हुई है तो जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।”

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