
संसद के आगामी मानसून सत्र की शुरुआत से पहले कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों पर घेरने की रणनीति तेज कर दी है। विदेश यात्रा के बाद देश में लौटे प्रधानमंत्री पर कांग्रेस ने तंज कसते हुए उन्हें मणिपुर जाने, संसद सत्र के लिए सर्वदलीय बैठक आयोजित करने और कई ज्वलंत मामलों की समीक्षा करने की सलाह दी है।
विदेशी दौरे के बाद कांग्रेस की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील गए थे। इस दौरे के दौरान उन्होंने पांच देशों — घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया — का आधिकारिक दौरा किया। कांग्रेस ने इस यात्रा के समापन के तुरंत बाद सोशल मीडिया के माध्यम से प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लिया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंच ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “भारत अपने ‘सुपर प्रीमियम फ्रीक्वेंट फ्लायर’ प्रधानमंत्री का स्वागत करता है, जो शायद अगली विदेश यात्रा से पहले तीन हफ्तों तक देश में रहेंगे।” उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को मणिपुर जाने का समय निकालना चाहिए, जहां लोग दो वर्षों से उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
उठाए गए प्रमुख मुद्दे
कांग्रेस ने मणिपुर में जारी हिंसा, पहलगाम में हुए आतंकी हमलों, हिमाचल प्रदेश में आई बाढ़, प्रधानमंत्री के गृह राज्य में अव्यवस्था, और जीएसटी सुधार जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री से सक्रियता की मांग की है।
जयराम रमेश ने कहा–
- प्रधानमंत्री को मणिपुर की स्थिति पर प्रत्यक्ष जानकारी लेनी चाहिए।
- पहलगाम के आतंकी हमलों के दोषियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
- हिमाचल प्रदेश को शीघ्र राहत राशि दी जानी चाहिए।
- गुजरात में गिरते बुनियादी ढांचे की समीक्षा की जानी चाहिए।
- जीएसटी में बदलाव लाकर आम जनता और छोटे व्यवसायों को राहत दी जानी चाहिए। संसद सत्र को लेकर सुझाव
कांग्रेस नेता ने यह भी प्रस्ताव रखा कि प्रधानमंत्री मानसून सत्र के लिए एजेंडा तय करने के उद्देश्य से एक सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करें। उनका मानना है कि इससे लोकतांत्रिक संवाद को प्रोत्साहन मिलेगा और महत्वपूर्ण विधायी विषयों पर व्यापक सहमति बन सकेगी।
संसद सत्र की 21 जुलाई से शुरुआत
यह बयान न सिर्फ सत्तापक्ष को कटघरे में खड़ा करता है, बल्कि संसद सत्र से पहले राजनीतिक माहौल को भी गरमाने का संकेत देता है। देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन सवालों का क्या जवाब देती है और विपक्ष अपने एजेंडे को कितना मजबूती से आगे बढ़ा पाता है।
गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस की यह रणनीति प्रधानमंत्री पर दबाव बनाने और राजनीतिक विमर्श को केंद्रित करने का प्रयास मानी जा रही है।

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