
उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष अप्रैल-मई में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। राज्य सरकार ने चुनाव से पहले ग्राम पंचायतों के नए परिसीमन की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में राजस्व ग्रामों और ग्राम पंचायतों के आंशिक पुनर्गठन का प्रस्ताव 5 जून तक जिलाधिकारियों से मांगा गया था।
राज्य निर्वाचन आयोग और पंचायती राज विभाग के निर्देश पर जिला प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं। जिलों में संबंधित अधिकारियों द्वारा पंचायतों के पुनर्गठन और मतदाता नामावली अद्यतन के लिए जरूरी जानकारियां एकत्र की जा रही हैं। संभावना है कि सितंबर-अक्टूबर तक निर्वाचन नामावली तैयार कर ली जाएगी।
बूथ लेवल अधिकारी और पर्यवेक्षकों की तैनाती की प्रक्रिया शुरू
चुनाव प्रक्रिया के तहत बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और पर्यवेक्षकों की तैनाती की प्रक्रिया जल्द शुरू होने जा रही है। बीएलओ के रूप में लेखपाल, जूनियर बेसिक स्कूलों के शिक्षक, शिक्षा मित्र, निगमों व निकायों के कर्मचारी और अन्य ग्राम स्तरीय कार्मिकों की नियुक्ति की जा सकेगी। वहीं, पर्यवेक्षक के रूप में राजस्व निरीक्षक, सहायक विकास अधिकारी, कृषि विभाग के अधिकारी और वरिष्ठ शिक्षक तैनात किए जाएंगे।
जून माह में मतदाता सूची का पूर्व सर्वे किया जाएगा, जिसमें मृतकों के नाम हटाने और नई प्रविष्टियां जोड़ने का काम होगा। यह कार्य भी सितंबर-अक्टूबर तक पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।
डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति भेजेगी परिसीमन का प्रस्ताव
पंचायती राज विभाग के निदेशक अमित कुमार सिंह ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जिलों में डीएम की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाए, जो ग्राम पंचायतों और राजस्व ग्रामों के पुनर्गठन का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजेगी। यदि कोई विकास खंड पुनर्गठन से प्रभावित होता है, तो उसकी जनसंख्या के आंकड़े, प्रस्तावित परिसीमन का प्रारूप, और यह सुनिश्चित करने का प्रमाण पत्र कि कोई भी ग्रामीण क्षेत्र अधिसूचना से बाहर नहीं रह गया है, उसे प्रारूप-1, 2 और 3 में तीन प्रतियों में तैयार कर 5 जून तक भेजना होगा।
चुनाव की तैयारियों को लेकर प्रशासन गंभीर
चुनाव की तैयारियों को लेकर जिलों में प्रशासनिक स्तर पर सक्रियता बढ़ गई है। जहां एक ओर परिसीमन और नामांकन प्रक्रियाओं पर काम किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर चुनाव से संबंधित आवश्यक प्रपत्रों और दस्तावेजों की व्यवस्था भी की जा रही है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के पदों पर चुनाव होते हैं, जिनमें लाखों की संख्या में मतदाता हिस्सा लेते हैं। ऐसे में समयबद्ध तैयारी और सटीक मतदाता सूची तैयार करना प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती है।
उल्लेखनीय है कि यह चुनाव गांवों की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का आधार माने जाते हैं और इनकी प्रक्रिया समय पर एवं पारदर्शी ढंग से पूरी करना राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग की प्राथमिकता है।