
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मानहानि के एक मामले को रद्द करने की मांग की थी। यह मामला वर्ष 2021 में दिल्ली किसान आंदोलन के दौरान कंगना द्वारा की गई एक सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ा है। अदालत के इस फैसले को कानूनी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
यह मामला बठिंडा की बुजुर्ग महिला मोहिंदर कौर द्वारा दायर किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि कंगना ने उनकी एक तस्वीर को किसान आंदोलन से जोड़ते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिससे उनकी मान-प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। मोहिंदर कौर ने इसे व्यक्तिगत अपमान बताते हुए मानहानि का केस दर्ज कराया था।
कंगना ने इस केस को रद्द कराने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका तर्क था कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है और किसी व्यक्ति को लक्ष्य कर जानबूझकर अपमानित करने का उनका कोई इरादा नहीं था। हालांकि, अदालत ने कंगना की इस दलील को स्वीकार नहीं किया।
अदालत का स्पष्ट संदेश
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट कहा कि कंगना के सोशल मीडिया पोस्ट को प्रथम दृष्टया मानहानिपूर्ण माना जा सकता है और इसे बिना पूरी सुनवाई के खारिज नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह अन्य व्यक्तियों की गरिमा और सम्मान के अधिकार से ऊपर नहीं है।
वादी पक्ष की प्रतिक्रिया
मोहिंदर कौर के वकील ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह निर्णय केवल उनकी मुवक्किल के लिए ही नहीं, बल्कि सामान्य नागरिकों के लिए भी प्रेरणादायक है, जो सोशल मीडिया पर की जाने वाली गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों से आहत होते हैं। उन्होंने कहा, “यह न्याय की जीत है और यह दिखाता है कि कोई भी कितना भी बड़ा क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है।”
व्यापक असर और जिम्मेदारी का संदेश
यह मामला सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की मर्यादा और जिम्मेदारी को लेकर भी एक अहम उदाहरण बन सकता है। जब जनप्रतिनिधि या प्रभावशाली हस्तियां सार्वजनिक मंचों पर अपनी राय साझा करते हैं, तो उनकी बातों का व्यापक असर होता है। ऐसे में यह जरूरी है कि वे अपनी बात रखते हुए संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का परिचय दें।
आगे की राह
हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद अब कंगना रनौत को इस केस की निचली अदालत में सुनवाई का सामना करना होगा। यदि दोष सिद्ध हुआ, तो उन्हें मानहानि के तहत सजा या जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। यह फैसला एक सकारात्मक संकेत है कि देश की न्याय प्रणाली हर नागरिक की गरिमा की रक्षा के लिए सजग है, और यह सुनिश्चित करती है कि सोशल मीडिया जैसे मंचों का उपयोग नकारात्मक या अपमानजनक उद्देश्यों से न किया जाए।

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