
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) को लेकर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग वोट चोरी कराने में शामिल है और इस बात को वह 100 प्रतिशत सबूतों के साथ साबित करने को तैयार हैं। राहुल गांधी ने कहा कि यह मामला “एटम बम जैसा है”—जब यह फटेगा, तो भारत में चुनाव आयोग कहीं नजर नहीं आएगा।
राहुल गांधी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें इस मामले के प्रमाण मिलने में छह महीने लगे, जिसमें उन्होंने सटीक डेटा और डिजिटल विश्लेषण किया। उन्होंने आरोप लगाया:
कांग्रेस की जांच में हजारों संदिग्ध वोटर देखे गए;
राज्यस्तर पर और विभिन्न चुनावों में—मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार—वोटर जोड़ने और हटाने की घटनाएं सामने आईं। उनका दावा है कि यह सब भाजपा के लिए वोट चोरी करने की साजिश है।
उन्होंने चेतावनी दी, “जो भी चुनाव आयोग में वोट चुराने का काम कर रहा है, उन्हें छोड़ेंगे नहीं। चाहे वे रिटायर ही क्यों न हो, हम उन्हें देशद्रोह के आरोप में पकड़ेंगे।”
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये बातें पूरी तरह से “बेसलेस” हैं। आयोग ने स्पष्ट कहा है कि चुनाव प्रक्रिया और मतदाता सूची तैयार करना, मतदान और मतगणना जैसे सारे काम पूरी तरह से पारदर्शी और विधिसम्मत तरीके से होते हैं। सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को प्रत्येक चरण में शामिल किया जाता है। महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनावों पर उठाए गए सवालों को आयोग ने “completely absurd” करार दिया है और कहा कि कांग्रेस ने कोई वैधानिक आपत्ति नहीं दर्ज कराई।
कांग्रेस का अगला कदम और भाजपा की प्रतिक्रिया
इस आरोप के बाद कांग्रेस ने बेंगलुरु में 5 अगस्त को विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। राहुल गांधी इसमें हिस्सा लेंगे और चुनाव आयोग के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर मोर्चा खोलेंगे। इसके अलावा, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमय्या ने भी राहुल गांधी का समर्थन किया और कहा कि उनके पास साक्ष्य हैं कि वोटिंग प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है। वहीं भाजपा ने इसे राजनीतिक ड्रामा करार दिया है और आरोपों को समयबद्ध और प्रेरित माना है।
सियासी पटल पर बढ़ रही तनातनी
यह मामला महज बिहार तक सीमित नहीं है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी मतदाता सूची में अनियमितताओं की चर्चाएं सामने आई थीं। कांग्रेस का आरोप है कि राज्य विशेष में वोटर एडिशन और डिलीशन की प्रक्रिया भाजपा की राजनीतिक सहायता के लिए की गई थी। चुनाव आयोग ने बार-बार कहा है कि कांग्रेस ने वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया—किसी अपील या हाई कोर्ट में चुनौती तक नहीं दी गयी। आयोग ने कहा कि बिना कोर्ट रि-मेडी लेने के सार्वजनिक आरोप लगाना लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति अनादर है
राहुल गांधी की ‘एटम बम’ जैसी तीखी प्रतिक्रिया ने चुनाव आयोग और राजनीतिक पटल में नई बहस को जन्म दिया है। कांग्रेस इन आरोपों को सबूत के साथ देश के सामने रखने की बात कह रही है, जबकि आयोग ने आरोपों को पूर्णतया निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है।
अब यह देखने की बात होगी कि कांग्रेस द्वारा पेश किए जाने वाले सबूत कितने सार्वजनिक और न्यायोचित रूप से निर्णायक होते हैं। वही चुनाव आयोग की यह प्रतिक्रिया दर्शाती है कि वह लोकतंत्र की सुरक्षा करने को तत्पर है और सार्वजनिक विश्वास बनाए रखना चाहता है।

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