
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। उन्होंने बहुजनों को उनका पूरा हक और अधिकार दिलाने के लिए एक ऐतिहासिक ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र’ जारी किया। इस संकल्प पत्र में 10 ठोस वादे किए गए हैं, जिनका उद्देश्य राज्य में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना है।
राहुल गांधी ने कहा कि ये संकल्प सिर्फ चुनावी वादे नहीं हैं, बल्कि ये बिहार के अतिपिछड़े, दलित और वंचित समाज को सशक्त बनाने की दिशा में एक स्पष्ट रोडमैप हैं।
संकल्प पत्र के 10 प्रमुख बिंदु
कांग्रेस द्वारा जारी किए गए इस संकल्प पत्र के प्रमुख वादे इस प्रकार हैं:—-
आरक्षण की सीमा में वृद्धि: संकल्प पत्र में सबसे महत्वपूर्ण वादा आरक्षण की 50% सीमा को बढ़ाने के लिए कानून पारित कर उसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करना है। यह कदम आरक्षण को कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा और इसे अदालती चुनौती से बचाएगा।
स्थानीय निकायों में आरक्षण: पंचायत और नगर निकायों में अतिपिछड़ा वर्ग के लिए मौजूदा 20% आरक्षण को बढ़ाकर 30% किया जाएगा। यह स्थानीय स्तर पर अतिपिछड़ों की भागीदारी सुनिश्चित करेगा।
निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण: सभी निजी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आरक्षण लागू किया जाएगा। यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में भी समानता लाने का प्रयास है।
‘Not Found Suitable’ व्यवस्था का अंत: नियुक्तियों में अक्सर इस्तेमाल होने वाली “Not Found Suitable” जैसी व्यवस्था को समाप्त किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि योग्य उम्मीदवारों को केवल इस बहाने से खारिज न किया जाए।
अतिपिछड़ा वर्ग की सूची में सुधार: अतिपिछड़ा वर्ग की सूची में सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा।
भूमिहीन परिवारों को जमीन: अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के भूमिहीन परिवारों को जमीन दी जाएगी। शहरों में 3 डेसिमल और गाँवों में 5 डेसिमल जमीन देने का वादा किया गया है।
निजी स्कूलों में आरक्षण: प्राइवेट स्कूलों की आधी आरक्षित सीटें SC, ST, OBC और EBC बच्चों को मिलेंगी। यह कदम शिक्षा में असमानता को कम करने का प्रयास है।
सरकारी ठेकों में आरक्षण: 25 करोड़ रुपये तक के सरकारी ठेकों में 50% आरक्षण SC, ST, OBC और EBC को दिया जाएगा। यह आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।

अत्याचार रोकथाम कानून: अतिपिछड़ों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए एक विशेष कानून बनाया जाएगा।
आरक्षण प्राधिकरण: आरक्षण से संबंधित मुद्दों को देखने के लिए एक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। संकल्प पत्र में यह भी कहा गया है कि आरक्षण सूची में बदलाव केवल विधानसभा द्वारा किया जाएगा।
कांग्रेस का यह कदम बिहार में जातीय जनगणना के नतीजों के बाद उपजे राजनीतिक माहौल में बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राहुल गांधी ने इस संकल्प पत्र के जरिए यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी सामाजिक न्याय और आरक्षण के मुद्दे को चुनाव में प्रमुखता से उठाएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके इस दांव का जनता और अन्य राजनीतिक दलों पर क्या असर पड़ता है।

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