
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डॉन जुन के साथ गुरुवार को चीन के बंदरगाह शहर चिंगदाओ में मुलाकात की। यह वार्ता शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक से इतर आयोजित की गई, जिसमें दोनों नेताओं ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक गति बनाए रखने और नई जटिलताओं से बचने की आवश्यकता पर बल दिया।
राजनाथ सिंह ने वार्ता के बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि उन्होंने एडमिरल डॉन जुन के साथ “द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों” पर सार्थक चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा कि यह आवश्यक है कि दोनों पक्ष अपने संबंधों में बने सकारात्मक रुझान को बनाए रखें और आगे किसी नई समस्या या टकराव की स्थिति से बचें।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लंबे समय से चला आ रहा सैन्य गतिरोध अब धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। अक्टूबर 2023 में दोनों देशों ने डेमचोक और देपसांग के क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर सहमति जताई थी, जिससे सीमा पर तनाव में काफी कमी आई है।
चीन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत संघर्ष या टकराव नहीं चाहता और मतभेदों को शांति व संवाद के माध्यम से सुलझाने का इच्छुक है। राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि आपसी विश्वास को बढ़ाना और संवाद बनाए रखना ही द्विपक्षीय संबंधों के सतत विकास की कुंजी है।
इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने एडमिरल डॉन को भारत की पारंपरिक मधुबनी कला की एक भेंट – ‘ट्री ऑफ लाइफ’ शीर्षक वाली पेंटिंग – भी भेंट की, जिसे सांस्कृतिक राजनय का प्रतीक माना जा रहा है।

इस मुलाकात का एक और अहम पहलू कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनः आरंभ होना रहा, जिसकी घोषणा भी सिंह ने की। उन्होंने कहा कि छह वर्षों के अंतराल के बाद यह तीर्थयात्रा फिर से शुरू हो रही है, जो न केवल हिंदुओं, बल्कि जैन और बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए भी अत्यंत महत्व रखती है। यह यात्रा 2020 में पहले कोविड-19 महामारी और फिर एलएसी पर बढ़ते तनाव के चलते निलंबित कर दी गई थी।
मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में आरंभ हुए सैन्य गतिरोध और जून में गलवान घाटी की हिंसक झड़प के बाद भारत-चीन संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था। इसके बाद दोनों देशों ने कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ताएं कीं, जिनके परिणामस्वरूप अब हालात में धीरे-धीरे सुधार देखा जा रहा है।
राजनाथ सिंह की यह यात्रा और उनकी चीन के रक्षा मंत्री के साथ बातचीत इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है, जिससे दोनों देशों के बीच भरोसे और सहयोग को फिर से मजबूत करने की दिशा में प्रगति संभव हो सकेगी।